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( ५९ ) हिंसा भाव की उत्पत्ति होने वाले तत्वों की अवहेलना करते हुए परोपकार के लिए अहिंसात्मक तत्वों को अपनाने पर बल दिया गया है यथा"हत्या न करना, व्यभिचार न करना, चोरो न करना, झूठी गवाही न देना और अपने पड़ौसी से अपने समान प्रेम रखना।"१ ___ समस्त धर्मों की भाँति पाप नरक का हेतु स्वीकार करते हुए बाइबिल में कहा गया है-"परमेश्वर ने उन स्वर्ग दूतों को जिन्होंने पाप किया, नहीं छोड़ा, पर नरक में भेजकर अँधेरे कुडों में डाल दिया ताकि न्याय के दिन तक बंदी रहें ।"२ ___जहां तक मांसाहार का प्रश्न हैं उस पर इस धर्म में कोई प्रतिबन्ध प्रतीत नहीं होता क्योंकि बाइबिल में स्वयं ईसामसीह द्वारा ही अपने भक्तों को मछली भक्षण कराते हुए बताया गया है--"यीशू ने अपने चेलों को बुलाकर कहा, मुझे इस भीड़ पर तरस आता है क्योंकि वे तीन दिन से मेरे साथ है और उनके पास कुछ खाने को नहीं और मैं उन्हें भूखा बिदा करना नहीं चाहता, कहीं ऐसा न हो कि मार्ग में थककर रह जाये। चेलों ने उससे कहा, हमें इस जंगल में कहाँ से इतनी रोटी मिलेगी कि हम इतनी बड़ी भीड़ को तृप्त करें । यीशू ने उनसे पूछा, तुम्हारे पास कितनी रोटि बाँ हैं ? उन्होंने कहा-सात, और थोड़ी सी छोटी मछलियां । तब उसने लोगों को भूमि पर बैठने की आज्ञा दी औ उन सात रोटियों और मछलियों को ले धन्यवाद करके तोड़ा और अपने चेलों को देता गया, और चेले लोगों को । सो सब खाकर तृप्त हो गये और बचे हुए टुकड़ों से भरे हुए सात टोकरे उठाये ।"३ ___यहाँ सहज ही प्रश्न पैदा होता है कि जो यीशू किसी प्राणी की हत्या न करने का उपदेश दे रहे हैं वे ही स्वत. भक्तों को मछली खिला रहे हैं क्या उस समय उन जीवधारियों को प्राणांत का कष्ट नहीं हुआ--ऐसा क्यों ? १ बाइबिल मत्ती १९ : १८-१९ २. वही, पतरस की दूसरी पत्रो २ : ४ ३. मत्ता १५ : ३२-३७
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