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( ८० ) चलने पर वे भिक्षु को फटकारते हुए कहते हैं "कैसे तूने मोध पुरुष ! बिना समझे-बूझे मांस को खाया। मोध पुरुष ! तूने मनुष्य के मांस को खाया। मोध पुरुष ! न यह अप्रसन्नो को प्रसन्न करने के लिये है।" आगे कहते हैं "भिक्षुओं ! मनुष्य माँस नहीं खाना चाहिये, जो खाये उसे थुल्लच्चय का दोष हो।"१ इसके अलावा हाथी, घोड़ा, कुत्ता; सांप, सिंह, बाध, भालू, चीता, तड़क ( लकड़बग्घा ) इन नौ जानवरों के मांस भक्षण का निषेध भी विनय पिटक में किया गया है।
१. विनय पिटक- भैषज्य स्कंधक अभक्ष्य मांस हिन्दी अनुबाद-राहुल सां.
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