Book Title: Vibhinna Dharm Shastro me Ahimsa ka Swarup
Author(s): Nina Jain
Publisher: Kashiram Saraf Shivpuri

View full book text
Previous | Next

Page 147
________________ नाम मूर्ख मग राजपुत्र राजपुत्री वायसी ( १२८ ) प्रसिद्ध अर्थ निर्बुद्धि मनुष्य हिरन राजकुमार राजकुमारी मादा कौआ खरगोश तोता सूअरी जानकी जी चन्द्रमा अप्रद्धि अर्थ माष (उड़द) कस्तूरी कलमी आम कड़वी तुम्बी कलम्बु नाम की औषधि लोध्र शिरीष वृक्ष वाराह क्रांता मदिरा कॉजी सुवर्ण, गंधक, चम्पक वृक्ष शश शुक शूकरी सीता सोम सुरभि मज्जारकडए : भगवती सूत्र के पाठ में 'मज्जारकडए" शब्द आया है, जिसका संस्कृत रूप "मार्जारकृत" है। मार्जार से “बिल्ली" और कृत से “मारा हुआ" अर्थ करके कुछ लोगों द्वारा इसका अर्थ किया गया है-“बिल्ली द्वारा मारा हुआ।" जबकि पशु द्वारा मारा हुआ मांस वैद्यक ग्रन्थों में दूषित बताया गया है और मांसाहारियों के लिये भी निषिद्ध है तो फिर अहिंसा के पुजारी भगवान महावीर पर बिल्ली द्वारा मारे गये माँस-भक्षण का आरोप लगाना हास्यास्पद नहीं तो और क्या है ? हमने ऊपर प्राणधारी और वनस्पति वाचक शब्दों की जो सूचि दी है उसमें मार्जार का वनस्पति वाचक अगस्त्य वृक्ष हिंगोटा वृक्ष कहा है । प्राचीन कोशों से भी यह बात सिद्ध होती है। वैजयन्ती भूमिकांड वनाध्याय के १५६ वें श्लोक में भी मार्जार हिंगोटा वृक्ष और अगस्त्य वृक्ष के रूप में आया है । हिंगोटा वृक्ष में औषधीय गुण होते हुए भी हम रेवती द्वारा बनाये खाद्य में उसके होने की सम्भावना कम ही समझते हैं क्योंकि इंगुदी कड़वी Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

Loading...

Page Navigation
1 ... 145 146 147 148 149 150 151 152 153 154 155 156 157 158 159 160 161 162 163 164 165 166 167 168 169 170 171 172 173 174 175 176 177 178 179 180 181 182 183 184