Book Title: Vibhinna Dharm Shastro me Ahimsa ka Swarup
Author(s): Nina Jain
Publisher: Kashiram Saraf Shivpuri

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Page 183
________________ ( १६४ ) एन/१४ चेतकपुरी ग्वालियर-४७४००९ दिनांक २५-७-९४ "मुगल सम्राटों की धार्मिक नीति पर जैन सन्तों आचार्यों एवं मुनियों का प्रभाव सन् १५५५ से १६५८ तक।" . लेखिका : डॉ. नीना जैन डॉ. नीना जैन का उपरोक्त शोध ग्रन्थ नितान्त मौलिक और अनेकानेक अछूते संदर्भो को उद्घाटित करता है। इसे मेरे प्रणम्य श्री काशीनाथ सराक आचार्य श्री विजयेन्द्र सूरि शोध संस्थान शिवपुरी (म. प्र) ने प्रकाशित किया है। इस ग्रन्थ में अकबर, जहाँगीर, शाहजहाँ की जैन धर्म के प्रति धार्मिक नीति का अनुपम वर्णन है। हस्तलिखित पाण्डलिपियों शाही फरमानों की प्रतियों की फोटो उपलब्ध कराने से शोध-ग्रन्थ की महनीयता स्वयं अपने आप पाठक के सामने बोलने लगती है। पालीताणा के आदीश्वर भगवान मन्दिर, खम्भात के चिन्तामणि पार्श्वनाथ जैन मन्दिर, राणकपुर, आदीश्वर भगवान मन्दिर तथा पावापुरी जैन तीर्थ मन्दिर शिलालेख भी परिशिष्ट में दिये गये हैं। शाकाहार प्रचार-प्रसार की बात आज जोरों पर है। अन्तर्राष्ट्रीय| राष्ट्रीय सम्मेलन हो रहे हैं। १९९५ का वर्ष पूरा शाकाहार को समर्पित है। अकबर, जहाँगीर और शाहजहाँ के काल में दशलक्षिणी धर्म के दिनों में पशु-वध और मांस की बिक्रो पर पूरी तरह रोक थी इसके साक्ष्य प्रमाण भी इस ग्रन्थ में दिये गये हैं। आज हमारी सरकार इसे लागू नहीं कर पा रही है, कैसी विसंगति है ? संक्षेप में हम इतना कह सकते हैं कि डॉ. नीना जैन का शोध प्रयास गागर में सागर है तथा उनको अपने इस शोध को निरन्तर गतिमान रखना चाहिए। समीक्षक डॉ. अभय प्रकाश जैन Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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