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ईसाई साहित्य का परीशीलन करने पर विदित होता है कि इसमें भी वैदिक साहित्य की भांति हिंसा एवं अहिंसा की विचार धाराएं कृष्ण पक्ष एवं शुक्ल पक्ष के समान विद्यमान हैं । एक ओर जहां केवल मनोरंजनार्थ बछड़ा काटा जा रहा है वहीं प्रेरितों के काम' में बलि किए हुए मांस से और लोहू से गला घोंटे हुओं के मांस से और व्यभिचार से बचे रहने की शिक्षा भी बाइबिल में दो गई है।
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