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( ५४ ) “यह उचित नहीं है कि एक आदमी अपने पेट को पशुओं की कब्र बनाये।"१ अकबर व जहांगीर के दया सम्बन्धि विचारों एवं जीव-हिंसा निषेध हेतु किये गये कार्यों के लिये मेरी प्रथम पुस्तक "मुगल समाटों की धार्मिक नीति पर जैन संतों ( आचार्यों एवं मुनियों ) का प्रभाव"
देखें।
इस्लाम शब्द की उत्पत्ति पर ही ध्यान देने से इस धर्मकी करूणा स्पष्ट रूप से विदित हो जाती है , सीन्, लाम्, मीम्=सल्म = दया करना । सल्म धातु से इस्लाम को पुस्तक अर्थात् कुरान शरीफ में अकारण हरी पत्तो तोड़ना तक पाप हैं।
विचारिये, जिस धर्म में सूक्ष्म जीवों को त्रास पहुचाने का निषेध हो क्या व धर्म स्थूल जीवों की कुर्बानी को आज्ञा दे सकता है ?
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1. It is not right that a man should make his stomach
the grave of animals. आइन- ए-अकबरी एच.एस. जैरेट द्वारा अनदित भाग ३, पष्ठ ४४३
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