________________
( ५० )
कर लेते हैं ऐसे लोगों पर खुदा मेहरबानी करता है । वह सब कुछ जानता है और हिकमत वाला है । ऐसे लोगों की तौबा कबूल नहीं होती जो ( सारी उम्र) बुरे काम करते | यहाँ तक कि जब उनमें से किसी की मौत आ मौजूद हो तो उस वक्त कहने लगे कि अब मैं तौबा करता हूँ ।" १
ये प्रमाण हमें यही दिखला रहे हैं कि सब जीवों पर रहम द्दष्टि रखो । किंवदन्ती है कि एक समय काबुल के अमीर हिन्दुस्तान की यात्रा को आये । उस समय 'ईद' का त्यौहार मनाने वे देहली पधारे। वहाँ के मुसलमानों ने उनके हाथों से कुर्बानी कराने के लिए कई गायें इकट्ठी की मुसलमान समझते थे कि अमीर साहब हम पर प्रसन्न होंगे, किन्तु अमीर साहब ने मुसलमानों की इस तैयारी को देखकर कहा कि कुरान में तो गायों की कुर्बानी
I
आज्ञा है ही नहीं। गौ-वध इस ख्याल से भी नहीं करना चाहिये क्योंकि हिन्दू हमारे पड़ोसी है और गौ वध से उनके दिल में दुख होगा जबकि कुरान में स्पष्ट फर्मान है कि अपने पड़ोसियों के साथ हिल-मिल कर रहो फिर मैं गौ वध करके कुरान की आज्ञा का उल्लंघन क्यों करू ।
इसी तरह सुबुक्तगीन के स्वप्न की बात भी सर्वविदित है कि वह एक साधारण स्थिति का मुसलमान था, किन्तु था बड़ा दयालु । खुद दरिद्र होते हुए भी किसी को दुखी देखकर उसकी सहायता करने को तैयार रहता था । एक दिन वह घोड़े पर चढ़कर जंगल में घूमने गया । वहाँ उसने एक हिरणी के बच्चे को देखा तो उसे अपने घोड़े पर ले लिया । बच्चे की माँ कुछ ही दूरी पर घास खा रही थी। जब उसने देखा कि मेरे बच्चे को एक आदमी लिये जा रहा है तो वह घोड़ े के पीछे पीछे चलने लगी । बच्चे के वियोग में उसका चेहरा उतर गया । सुबुक्तगीन को उसके दर्द का अहसास हुआ। उसने सोचा अगर यह हिरणी बोल सकती होती तो अवश्य बच्चे को छोड़ने की प्रार्थना करती । मूक पशु के दर्द को समझते ही उसने बच्चे को धीरे से नीचे रख
१ कुरान शरीफ सूर - ए - निशा आयत १७ - १८
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org