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ही न थे | बल्कि तपस्वियों में आदर्श, विचारकों में महान, यामिक विकास में असर दर्शनकार और उस सत्य को सभी विद्याओं में प्रवीण (Expert) थे' इसी लिये खोजी विद्वान् मं० राधवाचार्य ने सच कहा है, "जैन फ्लासफरों ने जैस पदार्थ के सूक्ष्मतत्व का विचार किया है उसको देखकर आज कल के पलासफर बड़े आश्चर्य में पड़ जाते हैं और कहते हैं"महावीर स्वामी आज कल की साइंस के सब से पहले जन्मदाता हैं
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महावीर ने प्रेम उत्पन्न करने के लिये हिंसा को अपनाया, हर एक वस्तु के समस्त पहलुओं को जानने और सम्पूर्ण सत्य को प्राप्त करने के लिये अनेकान्त अथवा स्याद्वाद का प्रचार किया । लोभी तक को सन्तोषी बनाने के लिये अपवाद का विकास किया । परमादियों को पुरुषार्थी बनाने के लिये कर्मवाद का सुन्दर पाठ पढ़ाया । जात-पात और नीच ऊंच के सेर मिटाने के लिये साम्यवाद का झण्डा लहराया जाता है स्त्रियों को न केवल पुरुषों के समान आदर प्रदान किया बल्कि गार्हस्थ्य तथा मुनि-धर्म के दरवाजे उनके लिये खोल दिये । पशु-पक्षियों और तिर्ययों तक में मनुष्यों के समान आत्मा सिद्धि करके संसार के हर प्राणी को सुख से "जीओ और दूसरों को शान्ति से जीने दो" का कल्याणकारी गुरुमन्त्र सिखाया | समस्त संसारी सुख-सामग्री प्राप्त होने पर भी २६ साल ३ महीने २० दिन की भरी जवानी में मोह ममता भरे संसार कौर कुटुम्बियों को त्याग कर स्वार्थ के स्थान पर त्याग
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१- ३ इसी ग्रन्थ के पृ० ११२, ६३, २६६
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