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अमेरिका के प्रेजीडेन्ट Eisenhower का भी कहना है, "संसार को नष्ट कर देनेवाले भयानक हथियारों से सुख की प्राप्ति नहीं हो सकी' । दूसरे देशों के नेता भी यही कहते हैं परन्तु जब U.N.0. की स्थापना, भयानक हथियारों की निन्दा और अहिंसा को सुखशान्ति का सर्वोच्च उपाय स्वीकार करने पर भी जग की बड़ी-बड़ी शक्तियां भयङ्कर हथियारों से युद्ध करके संसार की शान्ति को भङ्ग करने पर साक्षात् तुली खड़ी हैं, तो कुछ लोगों के कथनानुसार अहिंसा में चमत्कार कहां?
'अहिंसा वाणी से कहने की वस्तु नहीं, बल्कि स्वयं अपनाने आचरण करने और जीवन में उतारने की चीज है । अहिंसा का पालन वही कर सकता है जो आत्मिक शक्ति तथा चरित्र बल में शक्तिशाली हो । इसी लिये श्रीमती विजयलक्ष्मी पण्डित ने स्पष्ट कहा है-"हैडरोजन बम्बों का प्रतिकार केवल आत्मिक शक्ति है । आत्मिक शक्ति की प्राप्ति के लिये उन्होंने जोर देते हुये बताया, "इस समय भारत को अपना चरित्र बल दृढ़ करने की बड़ी आवश्यकता है जिसके प्रभाव से भारत हैडरोजन बंबादि भयानक हथियारों के प्रयोग के विरुद्ध प्रभावशाली आवाज उठाकर संसार को नष्ट होने से बचा सके” । रूस के प्रसिद्ध वैज्ञानिक C. Tolstoy के शब्दों में - "मांस भक्षण से गन्दे विचार और शराब तथा पर स्त्री गमन में रुचि उत्पन्न होती है और मांस के त्याग से १ This book's P. 352 & A. B. Patrika (Nov.24,1963) PE “Soul force is the only answer of hydrogen bombs
-The Tribune, Ambala (April 22, 1954).5 ३ Mrs. Vijayalakshmi called uponthennpeople. of
India to be strong mental and morally so that they should bring moral pressure on the countries of the world against the use of the most dangerous weapons and save the humanity from catastrophe.
-Tribune, Ambala (April 22, 1954) P. 9.
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