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प्रकरण ५ : विशेष साध्वाचार
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समाधिमरण के भेद :
ग्रन्थ में इस समाधिमरण के तीन भेदों का संकेत मिलता है।' इनमें से किसी एक का आश्रयण करके शरीर का त्याग करना आवश्यक है। क्रिया को माध्यम बनाकर किए गए इन तीनों भेदों में चारों प्रकार के आहार का त्याग (अनशन तप) आवश्यक है। इनके नामादि इस प्रकार हैं :२
१. भक्तप्रत्याख्यान-गमनागमन के विषय में कोई नियम लिए बिना चारों प्रकार के आहार का त्याग करके शरीर का त्याग करना भक्तप्रत्याख्यान नामक समाधिमरण है। इससे जीव सैकड़ों भवों के कर्मों को निरुद्ध कर देता है।
२. इंगिनीमरण – इंगित का अर्थ है-संकेत । अतः गमनागमन के विषय में भूमि की सीमा का संकेत करके चारों प्रकार के आहार का त्याग करते हुए शरीर का त्याग करना इंगिनीमरण है।
३. पादोपगमन-पाद का अर्थ है-वृक्ष । अत. पादोपगमन नामक समाधिमरण में चारों प्रकार के आहार का त्याग करके वृक्ष से कटी हुई शाखा की तरह एक ही स्थान पर निश्चल होकर शरीर का त्याग किया जाता है। ___ इन तीनों भेदों में से भक्तप्रत्याख्यान में गमनागमन-सम्बन्धी कोई नियम नहीं रहता है, इंगिनीमरण में क्षेत्र की सीमा नियत
रहती है तथा पादोपगमन में गमनागमन क्रिया नहीं होती है। अतः . . भक्तप्रत्याख्यान और इंगिनीमरण में 'सविचार' व 'सपरिकर्म' नामक
मरणकालिक अनशन तप किया जाता है क्योंकि इनमें क्रिया वर्तमान
१. अह कालम्मि संपत्ते आघायाय समुस्सयं । ___ सकाममरणं मरई तिहमन्नयरं मुणी ॥
-उ० ५.३२. २. वही, आ० टी०, पृ० २३८. ३. भत्तपच्चक्खाणेणं अणे गाई भवसयाई निरंभइ ।
-उ० २६.४०.
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