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परिशिष्ट २ : विशिष्ट व्यक्तियों का परिचय
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महापन :
ये नौवें चक्रवर्ती राजा थे। इन्होंने राज्य त्यागकर जिन-दीक्षा ली और तपश्चरण किया। महाबल राजा :२
इन्होंने उग्र तप करके मुक्ति प्राप्त की। यशा (वासिष्ठी) :
यह भगू पुरोहित की धर्मपत्नी थी। पति और पुत्र के दीक्षा ले लेने पर यह भी साध्वी बन गई । वसिष्ठ कुल में उत्पन्न होने के कारण इसे 'वासिष्ठी' भी कहा गया है। रथनेमि :
ये अरिष्टनेमि के छोटे भाई तथा समुद्रविजय के पुत्र थे। इनका कूल अगन्धन. था। समय पाकर इन्होंने दीक्षा ले ली। एक समय राजीमती को अन्धकारपूर्ण गुफा में नग्न देखकर इन्होंने उससे भोग भोगने के लिए प्रार्थना की। बाद में राजीमती के द्वारा प्रबोधित किए जाने पर संयम में दृढ़ होकर इन्होंने मोक्ष प्राप्त किया। राजीमती :५
यह भोगराज (उग्रसेन) की सर्वगुणसम्पन्न कन्या थी। अरिष्टनेमि के लिए वासूदेव ने इसी की याचना की थी। होने वाले पति अरिष्टनेमि के दीक्षित हो जाने पर इसने भी जिन-दीक्षा ले ली और घुघराले केशों को अपने हाथों से उखाड़ फेंका । पश्चात् अन्य स्त्रियों को भी दीक्षित किया । रथनेमि जैसे तपस्वी के द्वारा प्राथित
होकर भी यह संयम में दृढ़ रही और उसे भी संयम में दृढ़ करके ' मोक्ष प्राप्त किया। इसके द्वारा प्रदर्शित पतिव्रता-धर्म तथा ब्रह्मचर्य व्रत एक उदात्त आदर्श है। १. उ० १८.४१. २. उ० १८.५१. ३. उ० १४.३, २६. ४. देखिए-राजीमती आख्यान, परि० १; जै० भा० स०, पृ० ५००-५०१. ५. वही।
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