Book Title: Uttaradhyayan Sutra Ek Parishilan
Author(s): Sudarshanlal Jain
Publisher: Sohanlal Jaindharm Pracharak Samiti

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Page 511
________________ परिशिष्ट २ : विशिष्ट व्यक्तियों का परिचय [४८५ वैश्रवण देव : यह सौन्दर्यशाली देव-विशेष है। राजीमती ने अपने संयम की दृढ़ता बतलाते समय इसका उल्लेख किया था। शान्ति :२ ये शान्ति को देने वाले पांचवें चक्रवर्ती राजा तथा सोलहवें प्रसिद्ध जैन तीर्थङ्कर हैं। शिवा : ___ यह राजा समुद्रविजय की पत्नी तथा अरिष्टनेमि की माता थी। श्रेणिक : ___ यह (महावीर का समकालीन) मगध जनपद का राजा था। जैन, बौद्ध और वैदिक तीनों परम्पराओं में इस राजा का सविशेष उल्लेख मिलता है। यह किस धर्म को मानने वाला था इस विषय में विद्वानों में मतभेद है। जैन-ग्रन्थों में इसे भावी तीर्थङ्कर माना गया है तथा इसका सविशेष उल्लेख भी किया गया है। इस राजा के तीनों परम्पराओं में कई नाम मिलते हैं। जैसे: जैन-परम्परा में-श्रेणिक और भंभसार; बौद्ध-परम्परा में-श्रेणिक और बिम्बिसार; पुराणों में अजातशत्रु और विधिसार ।५ मण्डिकूक्षि उद्यान में इसका अनाथी मुनि से 'अनाथ' विषय पर संलाप हुआ जिसके प्रभाव से इसने धर्म को स्वीकार किया था। सगर :६ ये द्वितीय चक्रवर्ती राजा थे। इन्होंने राज्य के वैभव को छोड़कर जिन-दीक्षा ली और मुक्ति को प्राप्त किया। सनत्कुमार : - यह चतुर्थ चक्रवर्ती राजा था। इसने भी पुत्र को राज्य सौंपकर जिन-दीक्षा ली और तप किया। १. उ० २२.४१. २. उ०१८.३८. ३. उ० २२.४. ४. उ० २०.२,१०,१४-१५,५४. ५. विशेष-उ० समी० अध्ययन, पृ० ३६२-३६६. ६. उ० १८.३५. ७. उ० १८.३७. Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org

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