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परिशिष्ट ४ : देश तथा नगर
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साढ़े पच्चीस आर्य देशों में इसकी गणना की जाती है परन्तु बौद्ध ग्रन्थों में उल्लिखित सोलह महाजनपदों में इसका उल्लेख नहीं हुआ है । जैन सूत्रों के अनुसार इसकी राजधानी कांचनपुर (भुवनेश्वर ) थी। इस जनपद का दूसरा महत्त्वपूर्ण स्थान 'पुरी' ( जगन्नाथपुरी ) था । २
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काम्पिल्य नगर :
यहां का राजा ब्रह्मदत्त चक्रवर्ती था । संजय राजा ने भी यहीं पर शासन किया था । उत्तर प्रदेश के फर्रुखाबाद जिले में कायमगंज स्टेशन ( हाथरस के पास ) से ८ मील दूर गंगा के
१. साढे पच्चीस आर्यदेश व उनकी राजधानियां इस प्रकार हैं :
राजधानी
कांपिल्यपुर
ताम्रलिप्त
पापा ( पावापुरी)
जनपद
अंग
कलिङ्ग
काशी
कुणाल ( उत्तर कोशल )
कुशा
कुरु
केक. ( अ ) ( श्रावस्ती से
पूर्व-नेपाल की
तराई में)
कोशल
चेदि
जांगल
दशार्ण
राजधानी
चम्पा
कांचनपुर
वाराणसी
श्रावस्ती
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सोरिय (शौर्यपुर)
गजपुर (हस्तिनापुर)
श्वेतिका
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शुक्तिमती
अहिच्छत्रा
मृत्तिकावती
उद्धृत - जै० भा० स०, पृ० ४५९.
जनपद
पांचाल
बंग
भंगि
मगध
मत्स्य
मलय
भद्रपुर
लाढ
कोटिवर्ष.
वत्स
कौशाम्बी
वट्टा
मासपुरी
वरणा
अच्छा
विदेह
मिथिला
शाण्डिल्य नन्दिपुर
शूरसेन
सिंधु- सौवीर
सौराष्ट्र
राजगृह
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वैराट
२. जै० भा० स०, पृ० ४६६.
३. उ० १३.२; १८.१.
४. महाभारत के शान्तिपर्व ( १३६. ५ ) में भी ऐसा उल्लेख मिलता है ।
देखिए - महा० ना०, पृ० ६३.
मथुरा वीतिभयपट्टन द्वारवती (द्वारका)
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