Book Title: Uttaradhyayan Sutra Ek Parishilan
Author(s): Sudarshanlal Jain
Publisher: Sohanlal Jaindharm Pracharak Samiti

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Page 529
________________ परिशिष्ट ४ : देश तथा नगर [ ५०३ है । राजा दिवोदास ने इन्द्र की आज्ञा से इसका निर्माण किया था और भगवान् श्रीकृष्ण ने इसे जलाया था । ' विदेह : इस जनपद का राजा नमि था । इसकी राजधानी मिथिला थी । भगवान् महावीर की जन्मभूमि विदेह ही थी । इसकी पहचान 'तिरहुत' है । यह पूर्वोत्तर भारत का एक समृद्ध जनपद था । इसकी सीमा उत्तर में हिमालय, दक्षिण में गंगा, पश्चिम में गंडकी और पूर्व में मही नदी तक थी । वैशाली ( जिला मुजफ्फरपुर ) विदेह की दूसरी महत्त्वपूर्ण राजधानी थी। शौर्यपुर : " यहां वसुदेव और समुद्रविजय राज्य करते थे । उत्तर प्रदेश में आगरा के पास ( मैनपुरी जिले में ) शिकोहाबाद नामक स्थान से १० - १२ मील दूर यमुना नदी के किनारे वटेश्वर गांव है। इस बटेश्वर गांव के पास ही एक 'सूर्यपुर' गांव है जिससे इस 'शौर्य पुर' की पहचान की जाती है । यह कुशार्त जनपद की राजधानी थी । यहां आज भी विशाल मंदिर है । कृष्ण और उनके चचेरे भाई अरिष्टनेमि ( २२ वें तीर्थंङ्कर ) की यह जन्मभूमि थी । श्रावस्ती : यहां केशि-गौतम संवाद हुआ था। यहां उस समय दो बड़े - बड़े उद्यान थे जिनके नाम थे : १. कोष्ठक और तिन्दुक | उत्तरप्रदेश में बहराइच से २६ मील दूर ( फैजाबाद से गोंडा रोड पर २१ मील दूर बलरामपुर है और बलरामपुर से १० मील दूर ) पर एक 'सहेट-महेट' (सेट मेंट ) गांव है। उससे श्रावस्ती की पहचान की जाती है। आज भी यहां उस समय के खण्डहर मौजूद हैं। इसे तीसरे तीर्थङ्कर संभवनाथ की जन्मभूमि माना जाता है । जैन ग्रन्थों के अनुसार कुणाल (उत्तर कोशल ) जनपद की यह राजधानी थी । १. महा० ना०, पृ० ३०४. ३. उ० समी०, पृ० ३७१. ५. उ० २२.१. Jain Education International २. उ० १८.४५. ४. जै० भा० स०, पृ० ४७४. ६. उ० २३.३. For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org

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