Book Title: Uttaradhyayan Sutra Ek Parishilan
Author(s): Sudarshanlal Jain
Publisher: Sohanlal Jaindharm Pracharak Samiti

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Page 528
________________ ५०२ ] उत्तराध्ययन-सूत्र : एक परिशीलन विन्ध्याचल पर्वत तथा पूर्व में चम्पा नदी थी। आर० डेविड्स ने लिखा है कि भगवान बुद्ध के समय इस जनपद में ८० हजार गांव थे और क्षेत्रफल करीब २३०० मील था।' ई० पू० ६ठी शताब्दी में यह जनपद जैनियों और बौद्धों का प्रमुख केन्द्र था। इसकी राजधानी राजगृह ( राजगिर ) थी। मगध की दूसरी राजधानी पाटलिपुत्र ( पटना ) थी। मिथिला : यहां पर ही राजर्षि नमि की प्रव्रज्या के समय इन्द्र के साथ . संवाद हुआ था। यह एक समृद्ध एवं खुशहाल नगरी थी। अतः इन्द्र ने मिथिला में कुहराम देखकर राजर्षि नमि से इसका कारण पूछा था। यह विदेह जनपद की राजधानी थी। यहां १६ वें मल्लिनाथ और २१ वें नमिनाथ तीर्थङ्कर का जन्म हुआ था। बिहार प्रान्त में मुजफ्फरपुर और दरभंगा जिले की नेपाल सीमा के पास स्थित जनकपुर को मिथिला कहा जाता है । आर० डेविड्स ने इसकी पहचान 'तिरहुत' ( तीरहुत ) से की है। इसका कारण है कि मिथिला शब्द का प्रयोग जनपद और राजधानी दोनों के लिए हुआ है। इसीलिए विदेहराज की पुत्री वैदेही ( सीता ) 'मैथिली' कहलाती थी। वाणारसी ( वाराणसी ) :६ ___ यहां जयघोष और विजयघोष का संवाद हुआ था। यह काशी जनपद की राजधानी थी। आज भी इसे काशी, बनारस और वाराणसी कहते हैं। यहां ७ वें सुपार्श्वनाथ और २३ वें पार्श्वनाथ तीर्थङ्कर का जन्म हुआ था। 'वरुणा' और 'असि' नाम की दो नदियों के बीच अवस्थित होने के कारण इसका नाम वाराणसी पड़ा। वाराणसी गंगा नदी के वाम तटभाग में धनुषाकार रूप से अवस्थित है। जैन, बौद्ध और हिन्दुओं का यह पवित्र तीर्थस्थल है। महाभारत के अनुसार यहां प्राणोत्सर्ग करने वाले को मोक्ष मिलता १. जै० भा० स०, पृ० ४६२. २. बुद्धिस्ट इण्डिया, पृ० १७. ३. उ० ६.४-१४. ४. बुद्धिस्ट इण्डिया, पृ. २७. ५. महा० ना०, पृ० २५६. ६. उ० २५. २-३. Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org

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