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४१४ ] उत्तराध्ययन-सूत्र : एक परिशीलन किया करता था।' युद्ध में हाथी ही आगे रहते थे। अतः ग्रन्थ में हाथी को 'संग्राम-शीर्ष' होकर शत्रु को जीतनेवाला कहा गया है। हाथी और घोड़े पशुओं में श्रेष्ठ माने जाते थे। श्रेणिक राजा अनाथी मुनि से अपना परिचय देते हुए इन्हीं दोनों पशुओं का उल्लेख करते हैं। कुत्ता और शूकर ये दोनों पशु शिकार के काम आते थे।४ बकरा मिहमान के भोज के लिए अच्छा समझा जाता था ।५ यज्ञ में भी पशु काम आते थे। अत. यज्ञ में पशुहिंसा का निषेध किया गया है।
पशुओं के अतिरिक्त पक्षियों को भी पिजड़े में रखकर. पालापोसा जाता था।६ ग्रन्थ में कई पक्षियों के नाम मिलते हैं परन्तु उन सबको पाला नहीं जाता था। पशुओं और पक्षियों को पकड़ने और पालने के लिए नाना प्रकार के जालों और पिजड़ों का प्रयोग किया जाता था।
१. अंकुसेण जहा नागो।
-उ० २२.४७. तथा देखिए-उ० १४.४८. २. देखिए-पृ० ४१३, पा० टि० ३. ३. अस्सा हत्थी मणुस्सा मे ।।
-उ० २०.१४. ४. कुवंतो कोल-सुणएहिं सबलेहिं य ।
-उ० १६.५५. ___ तथा देखिए-उ० १६.६६.. ५. अय कक्कर भोइ य".""""जहा एस व एलए।
-उ० ७.७. ६. नाहं रमे पक्खिणि पंजरे वा।
-उ० १४.४१. ७. देखिए-नभचर तिर्यञ्च, प्रकरण १. ८. पासेहिं क डजालेहि मिओ वा अवसो अहं ।
वीदंसएहिं जालेहिं लेप्पाहि सउणो विव ।
-उ० १६.६४-६६. तथा देखिए-उ० १६.५३; २३.४०-४३; ३२.६; २२.१४,१६;पृ० ४१४, पा०टि०६.
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