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परिशिष्ट २ : विशिष्ट व्यक्तियों का परिचय [४७६ चलनी रानी : ___ यह ब्रह्मदत्त चक्रवर्ती की माता थी। जय :२
यह ग्यारहवां चक्रवर्ती राजा था। इसने सैकड़ों राजाओं के साथ राज्य छोड़कर जिन-दीक्षा ली और मुक्ति प्राप्त की। जयघोष :
यह जाति से ब्राह्मण था परन्तु बाद में जैन मुनि बनकर इसने यमयज्ञ किए। एक बार जब यह अपने भाई विजयघोष के यज्ञमण्डप में पहुंचा तो ब्राह्मणों के साथ हुए संवाद में यज्ञ और ब्राह्मण का सच्चा स्वरूप बतलाया। इसके उपदेश के प्रभाव से विजयघोष भी जैन श्रमण बन गया । पश्चात् दोनों ने मुक्ति प्राप्त की। दशार्णभद्र : - दशार्ण देश का राजा था। इन्द्र की प्रेरणा से जिन-दीक्षा ली। द्विमुखः५
पांचाल देश का.राजा था। पुत्र को राज्य देकर जिन-दीक्षा ली। देवकी : : यह राजा वसुदेव की पत्नी तथा केशव की माता थी। दोगुन्दुक देव :
नित्य प्रसन्नचित्त व स्वर्ग के सुखों का अनुभव करनेवाला देव । नग्गति :
गान्धार देश का राजा था। पुत्र को राज्य सौंपकर जिन-दीक्षा ली। नमि : ये विदेह के राजा थे। इनकी राजधानी मिथिला थी। दीक्षा के समय ब्राह्मण वेषधारी इन्द्र से इनका संवाद हुआ जिसमें आपने
१. उ० १३.१.
२. उ० १८.४३. ३. उ० २५.१, ३६.
४. उ० १८.४४. ५. उ० १८.४६-४७.
६. उ० २२.२-३. ७. उ० १६.३.
. ८. उ० १८.४६-४७. ६. देखिए-इन्द्र-नमि संवाद, परि० १. .
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