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-30 वर्ष -46 वर्ष
32 वर्ष
मौर्य वंश
-108 वर्ष
10. महागिरि 11. सुहस्ति 12. गुणसुन्दर 13. गुणसुन्दर-शेष 14. कालिक 15. स्कन्दिल
12 वर्ष
-30 वर्ष
40 वर्ष
पुष्यमित्र
बलमित्र (2) भानुमित्र ।
38 वर्ष
-60 वर्ष
16. रेवतीमित्र 17. आर्य भंगु
36 वर्ष -20 वर्ष
(1) नरवाहन (2) गर्दभिल्ल (3) शक
-40 वर्ष -13 वर्ष - 4 वर्ष
-60 वर्ष
18. बहुल 19. श्रीव्रत 20. स्वाति 21. हारि 22. श्वामार्य 23. शाण्डिल्य आदि 24. भद्रगुप्त 25. श्रीगुप्त 26. वज्स्वामी
(1) विक्रमादित्य (2) धर्मादित्य (3) भाइल्ल
-40 वर्ष
=111 वर्ष
-11 वर्ष
580 वर्ष
581 वर्ष
इस प्रकार महावीर निर्वाण के 581 वर्ष व्यतीत दिगम्बर परम्परानुसार जिस दिन भ. महावीर हए। उसके बाद पुष्यमित्र और नाहड़ का राज्यकाल का परिनिर्वाण हआ, उसी दिन गौतम गणधर ने केवल24 वर्ष का रहा। तदनन्तर । (581+24=605 ज्ञान प्राप्त किया। गौतम के सिद्ध हो जाने पर सुधर्मा वर्ष बाद) शक संवत् की उत्पत्ति हुई। आगे भ० । स्वामी केवली हुए । सुधर्मा स्वामी के सिद्ध हो जाने पर महावीर निर्वाण के 980 वर्ष पूर्ण हो जाने पर महा- जम्बूस्वामी अन्तिम केवली हुए। इन तीनों केवलियों गिरि की परम्परा में उत्पन्न देवद्धिगणि क्षमाश्रमण ने का काल 62 वर्ष है। उनके बाद नन्दी, नन्दिमित्र, कल्पसूत्र की रचना की।
अपराजिल, गोवर्धन और भद्रबाहु ये पाँच थ तकेवली
6. कल्पसूत्र स्थविरावली. 7. जयघवला, भाग-1, प्रस्तावना, पृ० 23-30. हरिवंशपुराण
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