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भिन्न-भिन्न तत्वों के परमाणु 92 प्रकार के हैं । ये 1 मन भारी पानी पृथक किया जाता है। निरा भारी सब प्रोटोन, न्यूट्रोन और इलेक्ट्रोन की भिन्न-भिन्न पानी विष है । उसके पीने से मनुष्य मर जाता है । संख्याओं से मिलकर बने हैं । अर्थात् इनमें कोई मौलिक किन्तु जिस प्रकार मनुष्य कुचला, संखिया आदि विष अन्तर नहीं है। दीवाली के त्यौहार पर बिकनेवाले अत्यन्त अल्प मात्रा में ताकत के लिये व्यवहार करते हैं खांड के खिलौनों के समान कोई बन्दर दिखता है और उसी प्रकार प्रकृति ने भारी जल जैसे विष को अल्प कोई रानी; किन्तु वे हैं सब एक ही खांड के बने हुये। मात्रा में साधारण जल में मिला दिया है---उन अभागे रानी के खिलौने को गलाकर बन्दर बनाया जा सकता है। व्यक्तियों के लिये जो जीवन पर्यन्त निर्धनता अपने भाग्य
में लिखाकर लाये हैं। यही कारण है असाधारण परिहाइड्रोजन परमाणु के केन्द्र में 1 प्रोटोन है और
स्थितियों में मनुष्य इस मारी जल की चन्द बूंदों के उसके चारों ओर एक ही इलेक्ट्रोन घूमता है । हीलियम
सहारे कई-कई दिन भूखे काट देते हैं। विधि का विधान गैस के परमाणु के केन्द्र में 2 प्रोटोन और 2 न्यूट्रोन हैं
विलक्षण है। और 2 इलेक्ट्रोन बाहर की परिधि मे घूमते हैं । लीथियम के केन्द्र में 3 प्रोटोन और 4 न्यूट्रोन हैं और उपरोक्त विवेचन से स्पष्ट हो जाता है कि सोना, 3 इलेक्ट्रोन बाहर की परिधि में घूमते हैं । इसी प्रकार चाँदी, लोहा आदि जो भिन्न-भिन्न पदार्थ इस धरा पर यह संख्या बढ़ती चली गई है । तांबे के परमाणु में 29, दृष्टिगोचर हो रहे हैं, इन सबका निर्माण एक ही प्रकार चांदी में 47, सोने में 79, पार में 80 और सबसे की ईट-चूने से हुआ है । उनका नाम है-प्रोटोन, न्यूट्रोन भारी परमाणु रेनियम में 92 प्रोटोन होते हैं। और इलेक्ट्रोन ।
प्रोटोन और न्यूट्रोन की तौल लगभग बराबर है। पुद्गल-संसार की रचना में दो द्रव्यों का प्रमुख हल्के हाइड्रोजन के परमाणु केन्द्र में केवल 1 प्रोटोन है, भाग है-पहला जीव (चेतन) या आत्मा और दूसरे को उस परमाणु की तौल 1 है। भारी हाइड्रोजन के परमाणु प्रकृति (जड़) या अचेतन कहा जाता है । जैनाचार्यों ने की तौल 2 है, उसके केन्द्र में 1 प्रोटोन और 1 न्यूट्रोन प्रकृति (जड़) को पुद्गल के नाम से पुकारा है और हैं। हीलियम के परमाणु की तौल 4 है इसलिये उसमें पुद्गल शब्द की व्याख्या उसके नाम के अनुरूप ही 2 प्रोटोन और 2 न्यूट्रोन हैं । तांबे के परमाणु की तौल . उन्होंने की है 'पूरयन्ति गलयन्ति इति पुद्गलाः' अर्थात् 65 है अतएव उसमें 29 प्रोटोन और 36 स्ट्रोन हैं। पुद्गल उसे कहते हैं जिसमें पूरण और गलन क्रियाओं पारे के परमाणु की तौल 200 है और उसमें 80 के द्वारा नई पर्यायों का प्रादुर्भाव होता है । विज्ञान की प्रोटोन और 120 न्यूट्रोन हैं। और यूरेनियम के परमाणु
भाषा में इसे फ्यूजन और फिशन या इन्टीग्रेशन और की तौल 238 है और उसके परमाणु केन्द्र में 92 डिसइन्टीग्रेशन कहते हैं । एटम बम को फिशन बम और प्रोटोन और 146 न्यूट्रोन हैं ।
हाइड्रोजन बम को फ्यूजन बम इसी कारण कहा गया
है। एटम बम में एटम के ट्रकड़े-टुकड़े हो जाते हैं और जिस भारी हाइड्रोजन का अभी उल्लेख किया है तब शक्ति उत्पन्न होती है और हाइड्रोजन बम में एटम उससे 'भारी जल' का निर्माण हुआ है जिस प्रकार
परस्पर मिलते हैं तब उसमें शक्ति का प्रादुर्भाव हल्के हाइड्रोजन से नित्यप्रति व्यवहार में आनेवाले जल
होता है। का निर्माण हुआ है। यह भारी पानी प्रकृति ने हल्के पानी में ही मिला रखा है-6 सेर पानी में केवल 20 'तत्वार्थ सूत्र' के पंचम अध्याय सूत्र नं0 33 में बंद । लगभग 13000 टन पानी में से विद्युत द्वारा कहा गया है-'ग्निग्धरुक्षत्वाबंध:' अर्थात् स्निग्ध और
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