Book Title: Tirthankar Mahavira Smruti Granth
Author(s): Ravindra Malav
Publisher: Jivaji Vishwavidyalaya Gwalior

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Page 443
________________ शान्तीलाल जैन "मधुकर" वी. काम. । सशक्त कवि, लेखक एवं प्रतिष्ठित समाजसेवी । अनेकों समाजसेवी संस्थाओं से सम्बद्ध, समाजसेवी कार्यों में अग्रणी वस्त्र व्यवसायी। भावात्मक कविताओं के प्रणेता। देश की अनेकों प्रमुख पत्र-पत्रिकाओं में लगभग डेड सौ काव्य रचनाएँ प्रकाशित । सम्पर्क8 वी., आर. जी. कर रोड़, श्याम बाजार, कलकत्ता 4 । डा. शिवकुमार नामदेव एम. ए., पी-एच. डी. । जन्म -30 जून 1944, शहपुरा, मण्डला (म. प्र.)। जबलपुर विश्वविद्यालय से प्राचीन भारतीय इतिहास, संस्कृति एवं पुरातत्व विषय में प्रथम श्रेणी में स्नातकोत्तर परीक्षा उत्तीर्ण । जबलपूर विश्वविद्यालय से "कलचुरी मूर्तिकला का समालोचनात्मक अध्ययन" विषय पर प्रस्तुत शोध ग्रन्थ पर डाक्टरेट की उपाधि से विभूषित । व्याख्याता-प्राचीन भारतीय इतिहास, संस्कृति एवं पुरातत्व विभाग, शासकीय महाविद्यालय डिन्डोरी (मण्डला)। श्रमण (बनारस), सन्मति सन्देश (दिल्ली), जैन प्रचारक (दिल्ली) सन्मति वाणी (इन्दौर), अनेकान्त (दिल्ली), मध्य प्रदेश सन्देश (भोपाल) आदि अनेकों पत्र पत्रिकाओं में जैन एवं जैनेतर विषयों पर सौ से भी अधिक शोधपत्र एवम् निबन्ध प्रकाशित । सम्पर्क-व्याख्याताप्राचीन भारतीय इतिहास, संस्कृति एवं पुरातत्व विभाग, शासकीय महाविद्यालय, डिन्डोरी (मण्डला) म. प्र. । ४०६ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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