Book Title: Tirthankar Mahavira Smruti Granth
Author(s): Ravindra Malav
Publisher: Jivaji Vishwavidyalaya Gwalior

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Page 415
________________ जित हुए। भगवान महावीर के पाँचों कल्याण सम्बन्धी दिवसों पर एक-एक सप्ताह के कार्यक्रम आयोजित किये गए । प्रदर्शनी - निर्वाण वर्ष में स्थान-स्थान पर भगवान महावीर के जीवन-दर्शन-देन के सम्बन्ध में जन सामान्य को जानकारी देने के उद्देश्य से ग्वालियर में दो प्रकार की प्रदर्शनियों के प्रदर्शन को संगठित किया गया नयामन्दिर, दानाओली की प्रबन्ध समिति के तत्वाधान में एक प्राचीन साहित्य एवं कला प्रदर्शनी संगठित की गई। इसमें प्राचीन जैन साहित्य, चित्र एवं हस्तशिल्प, विभिन्न जैन तीर्थों के चित्र, प्रमुख जैन ग्रन्थ एवं शास्त्रादि, संकलित किये गए हैं। इनमें स्वर्ण अक्षरी गुटके, चावल के एक दाने पर 35 अक्षरी णमोकार मंत्र; स्फटिक-मरारिपुखराज पन्ना - कसौटी पाषाण आदि की जिन प्रतिमाएं विशेष रूप से दर्शनीय हैं। जैन नवयुवक संघ, नया बाजार पंचायती मन्दिर द्वारा "भगवान महावीर पंच कल्याणक प्रदर्शनी" संगठित की गई। इसमें चित्रमय झांकियों के द्वारा वर्द्धमान महावीर के सम्पूर्ण जीवनदर्शन को सरल एवं सुबोध पोली में प्रदर्शित किया गया है। यह प्रदर्शनी देश के अनेकों भागों में लगाई गई जिसे लगभग ढाई लाख व्यक्तियों ने देखा । धर्मचक्र स्वागत समारोह - राष्ट्रीय एवं प्रान्तीय स्तर पर स्थापित समितियों द्वारा देशभर में धर्मचक्र का परिभ्रमण किया गया | ग्वालियर में भी दो धर्मचक्र पधारे। प्रथमतः मध्यप्रदेश की राज्य समिति द्वारा इन्दौर से प्रारम्भ धर्मचक्र ग्वालियर पधारा। इस धर्मचक्र ने, सारंगपुर, ब्यावरा, बीनागंज, कुंभराज, राघोगढ़, रूठयाई, गुना, आरोन, साठोरा, अशोकनगर, ऑडर, बहादरपुर मुंगावली, चन्देरी, खनियाधाना ईसागढ़, कोलारस, शिवपुरी, अर्थाखेड़ा, बजरंग गढ़, छोटो बामोर, मुहारी कलाँ, चमरूड, नंरवर, मगरौनी, पीरोठ, खतोरा, लुकवासा, शिवपुरी, डबरा, लश्कर, ग्वालियर, मुरार, गोहद, मौ, मेहगांव, गोरमी, भिण्ड, फूफ, अटेर, पोरसा Jain Education International ३८१ अम्बाह बरे, मुरैना, बामोर, जीरा, सबलगढ़, श्योपुरकलाँ, दतिया, सोनागिरि, करैरा, भितरवार व कैलारस स्थानों पर भ्रमण किया। सभी स्थानों पर इसके स्वागत में समारोह आयोजित किये गए व विभिन्न बोलियों तथा गुप्तदान के रूप में 2,59,553 रुपये दानस्वरूप प्राप्त हुए। तदुपरान्त सोनगढ़ से प्रारम्भ धर्मचक्र भी ग्वालियर पधारा । यह धर्मचक्र भी ग्वालियर संभाग में अनेकों स्थलों पर गया जहां इसके स्वागत में विशाल समारोहों तथा इसकी शोभा यात्राओं का आयोजन हुआ। इस अवसर पर आयोजित विभिन्न सभाओं में अनेकों विद्वानों के प्रवचन हुए। धर्मचक्र के रक्षक, वाहक, ध्वज रक्षक आदि की बोली में भी ग्वालियर संभाग के विभिन्न स्थानों से उल्लेखनीय दानराशि प्राप्त हुई । प्रवचन व्याख्यान, गोष्टी, सभा एवं सांस्कृतिक कार्यक्रम समारोह वर्ष में संभाग में विभिन्न स्थानों पर अनेकों प्रवचनों, सभाओं आदि के आयोजन किये गए। ग्वालियर में पधारे (पूर्व वर्णित ) विभिन्न धर्माचायों ने अपनी दैनिक सभाओं में धार्मिक प्रवचन किये जिससे धर्म प्रभावना एवं जनजागरण का महत्वपूर्ण कार्य सम्पन्न हुआ। मुनिश्री चन्दनमलजी सम्पूर्ण वर्ष यहीं रहे, उनके प्रवचनों से प्रभावित होकर अनेकों हरिजनों एवं दलितों ने मांसाहार एवं मद्यपान त्याग के व्रत लिये एवं इन दोषों का सामूहिक त्याग किया । वर्ष के प्रारम्भ में आयोजित निर्वाण महोत्सव सप्ताह में वीर शिक्षा समिति व जैन नवयुवक संघ के सहयोग से वीर जैन छात्रावास में एक सप्ताह तक जैन मेला आयोजित किया गया। इस अवसर पर परिचर्चा, गोष्ठी, युवक सम्मेलन एवं वाद विवाद प्रतियोगिता आयोजित हुई। महावीर जयन्ती पर भी एक सप्ताह के कार्यक्रम आयोजत किये गए। इनमें समा बालप्रतियोगिताएं, खेलकूद एवं सांस्कृतिक कार्यक्रम प्रमुख थे। इसके अतिरिक्त वर्ष भर अनेकों अवसरों पर प्रवचन, For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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