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डा. कैलाशचन्द्र जैन एम. ए., पी-एच. डी., डी. लिट. । प्रतिष्ठित इतिहासकार एवं पूरातत्व वेत्ता। जन्म-21 अप्रैल 1930 मरोठ (राजस्थान) । महाराजा महाविद्यालय, जयपुर; शासकीय महाविद्यालय, अजमेर; व राजऋषि कालेज, अलवर, में प्राध्यापक रहे । 1964 से, अध्यक्ष --- प्राचीन भारतीय इतिहास एवं संस्कृति विभाग, विक्रम विश्वविद्यालय, उज्जैन । सदस्य- इन्टरनेशनल कान्फ्रेन्स आफ ओरियन्ट लिस्टस, 1963, आल इण्डिया ओरिएन्टल कान्फ्रेन्स, इण्डियन हिस्ट्री कांग्रेस, इन्स्टीट्यूट आफ हिस्टोरिकल स्टडीज, एपीग्राफीकल सोसायटी आफ इण्डिया, न्युमिस्मैटिक सोसायटी आफ इण्डिया । प्रकाशनJainism in Rajasthan, Ancient cities and towns of Rajasthan, Malwa through the Ages, Lord Mahavira & his times, प्राचीन भारत में सामाजिक एवं आर्थिक संस्थाएं । लगभग 70 शोधपत्र प्रकाशित । गत बीस वर्ष से शोधकार्य में रत । 1966 में उल्लेखनीय शोधकार्य हेतु राजस्थान शासन द्वारा पुरस्कृत । सम्पर्क-मोहन निवास, देवास रोड, उज्जैन 456 001 ।
डा. कृष्णदत्त वाजपेयी
पी-एच. डी. । प्रसिद्ध इतिहामज्ञ एवं पुरातत्त्व वेत्ता। मथुरा, लखनऊ में क्यूरेटर सागर विश्वविद्यालय में टैगोर प्रोफेसर तथा अध्यक्ष-प्राचीन भारतीय इतिहास एवं संस्कृति विभाग । अध्यक्ष, न्यू मैस्मेटिक सोसायटी आफ इण्डिया। उपाध्यक्ष, एपीग्राफीकल सोसायटी आफ इण्डिया। भारतीय अभिलेख संस्था । नेलसन राइट इण्डिया मैडिल (भारतीय मुद्रा परिषद से सम्मानित); ऐशियेटिक सोसायटी, कलकत्ता से आर. पी. चन्दा मैडिल। बिड़ला म्यूजियम के अध्यक्ष । लगभग 26 पुस्तके प्रकाशित । 450 शोध प्रबन्धों के मार्गदर्शक । 28 शोध छात्रों को मार्गदर्शन में डाक्टरेट की उपाधि प्राप्त । त्रिपुरी, एरन व देवगढ़ में उत्खनन एवं पुरातत्वीय शोधकार्य । सम्पर्क-अध्यक्ष, प्राचीन भारतीय इतिहास एवं सस्कृति विभाग, सागर विश्वविद्यालय, सागर ।
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