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डा. महावीर सरन जैन
एम.ए., डी. फिल., डी. लिट. । प्रसिद्ध साहित्यकार एवं समालोचक । अनेकों समाजसेवी व शैक्षणिक संस्थाओं से सम्बद्ध, अनेक अखिल भारतीय संस्थाओं के आजीवन सदस्य । स्नातकोत्तर हिन्दी एवं भाषा विज्ञान विभाग, जबलपुर विश्वविद्यालय में वरिष्ठतम प्रवाचक एवं प्रशासकीय विभागाध्यक्ष । चेयरमैन, स्नानकोतर हिन्दी सम्मिलित अध्यापन, डायरैक्टर -हिन्दी ब्रिज कोर्स प्रोजेक्ट । 4 उच्चस्तरीय ग्रन्थ एवं 60 से अधिक शोध निबन्ध प्रकाशित । निर्देशन में अनेक छात्रों को पी-एच. डी. व डी. लिट. की उपाधियाँ प्राप्त । "परिनिष्ठित् हिन्दी का ध्वनिग्रामिक अध्ययन" शीर्षक पुस्तक उत्तर प्रदेश शासन द्वारा पुरस्कृत । सम्पर्क-अध्यक्ष - हिन्दी व भाषा विज्ञान विभाग, जबलपूर विश्वविद्यालय, जबलपुर (म. प्र.) ।
मधुसूदन नरहरि देशपाण्डे प्रख्यात कलामर्मज्ञ, पुगतत्व वेत्ता एवं समीक्षक । महानिदेशक ----- भारतीय पुरातत्वीय सर्वेक्षण विभाग, भारत शासन । भारतीय पुरातत्व पब मस्कति के अनेक पक्षों पर शोधकार्य । पूर्व में ताम्रलिपि से लेकर दक्षिण भारत के अनेक स्थलों का पुरातत्वीय सर्वेक्षण । उत्तर भारत के अम्बखेड़ी, बड़गांव इत्यादि स्थलों का उत्खनन कर ताम्रपाषाण युगीन (सिंधु सभ्यता के अन्तिम कालीन अवशेषों का पुनर्जागरण । दक्खन के पीतल वीरा नामक स्थल का उन्न्वनन कर यक्ष परम्परा से सम्बन्धित नबीन आयामों की खोज की। अजन्ता गुफा के कला पक्ष पर शोध एवं समीक्षा। अनेकों शोधपत्र ब निबन्ध प्रकाशित । सम्पर्क-निदेशक, भारतीय पुरातत्वीय सर्वेक्षण विभाग, जनपथ नई दिल्ली।
यू. एन. बाच्छावत
एम. ए., एल-एल. बी. । कुशल वक्ता एवं लेखक, प्रख्यात विधि बेत्ता, न्यायमूर्ति, म. प्र. उच्च न्यायालय । म. प्र. उच्चन्यायालय की इन्दौर खण्डपीठ के वरिष्ठ एवं ख्यातिप्राप्त अभिभाषक रहे। भारतीय संविधान एवं निर्वाचन विधि के विशेषज्ञ । सन् 1974 में मध्यप्रदेश उच्च न्यायालय में न्यायाधीश पद पर नियुक्त । विधि के अतिरिक्त सामाजिक विज्ञानों में विशेष रुचि । सम्पर्क-गांधी मार्ग, ग्वालियर ।
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