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जीवाजी विश्वविद्यालय द्वारा आयोजित श्री २५००वां, भगवान महावीर निर्वाण महोत्सव, व्याख्यान माला
एक रिपोर्ताज
श्री 2500वां भगवान महावीर निर्वाण महोत्सव करने के साथ-साथ जन-सामान्य को भी लाभप्रद ज्ञान के अवसर पर देशभर में आयोजित विभिन्न कार्यक्रमों उपलब्ध करायेगी। प्रथम दिवस के मुख्य वक्ता के रूप के क्रम में जीवाजी विश्वविद्यालय द्वारा आयोजित में भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग, नई दिल्ली के व्याख्यानमाला ग्वालियर के बुद्धिजीवी जगत के लिये महानिदेशक श्री मधुसदन नरहरि देशपाण्डे ने "जैन अभूतपूर्व कार्यक्रम के रूप में वर्षों तक अविस्मरणीय पुरातत्व एवं कला" विषय पर वृहद एवं सारभित रहेगी. जिसमें निरन्तर पाँच दिवस तक विभिन्न विषयों व्याख्यान दिया तथा परातत्व एवं कला के सन्दर्भ में पर देश के मुर्धन्य विद्वानों ने अपने उच्चस्तरीय एवं जैनों के महत्वपर्ण योगदान पर भी अपने विचार प्रकट शोधपूर्ण व्याख्यानों से इस क्षेत्र के बुद्धिजीवियों के मध्य
किये । डॉ. देशपाण्डे ने अपने व्याख्यान के क्रम में ज्ञानगंगा प्रवाहित की।
सन्दर्भित पुरातत्वीय स्थलों एवं अवशेषों के स्लाइड्स जीवाजी विश्वविद्यालय के कलपति श्री गोविन्द का भी प्रदर्शन किया। सभापति डॉ. बजवासीलाल, नारायण टण्डन ने दिनांक 6 नवम्बर 1975 को वारष्ठ आचाय एवं अध्यक्ष, प्राचान भारतीय इतिहास, आयोजित उद्घाटन समारोह में व्याख्यानमाला का।
संस्कृति एवं पुरातत्व अध्ययनशाला, जीवाजी विश्वउद्घाटन करते हए अपेक्षा की कि यह व्याख्यानमाला विद्यालय ने अपने अध्यक्षीय भाषण में ग्वालियर और देश की प्राचीनतम संस्कृतियों में से एक जैन संस्कृति इसके निकटवर्ती क्षेत्रों में जैन पुरातत्व एवं कला के तथा देश की साहित्य सम्पदा के विशालतम भाग जैन विशाल भण्डार का शोधपूर्ण विवेचन प्रस्तुत करते हुए वाङ्गमय के अनेक लुप्त प्रसंगों को उजागर करेगी और इस दिशा में वृहद शोध-कार्य तथा इस सम्पदा के संरक्षण इस दिशा में कार्य करने के लिये शोधाथियों को आकर्षित की आवश्यकता प्रतिपादित की। .
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