Book Title: Tirthankar Mahavira Smruti Granth
Author(s): Ravindra Malav
Publisher: Jivaji Vishwavidyalaya Gwalior

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Page 428
________________ w मुनि श्री नथमल जी जैन धर्म और दर्शन के मर्मज्ञ विद्वान, प्रखर विचारक, लेखक । अगुवन अनुशास्ता आचार्य श्री तुलसी के वरिष्ठ सहयोगी। हिन्दी, नी, सस्कृत, प्राकृत, अपभ्रश आदि अनेक भाषाओं के ज्ञाता । अनेकों दुर्लभ आगम ग्रन्थों का सम्पादन तथा संशोधन एवं पूर्ति कर उन्हे प्रकाशित किया। अनेकों शोधग्रन्थ, मौलिक ग्रन्थ, तथा टीकाएँ प्रकाशित सम्पर्क- आदर्श साहित्य संघ, चरू (राजस्थान) । TEare मुनि श्री चन्दनमल जी प्रखर लेखक-कवि, अपभ्रंश एवं प्राकत के मूर्धन्य विद्वान, प्रभावशाली वक्ता । अणुब्रत अनुशास्ता आचार्य श्री तुलसी के वरिष्ठ सह. योगी । हिन्दी, अपभ्रश, प्राकृत, संस्कृत, अंग्रेजी भाषाओं के ज्ञाता । ग्वालियर के एक मध्यमवर्गीय प्रतिष्ठित परिवार में जन्म, किशोरावस्था में ही साधूत्व की दीक्षा ग्रहण की। अनेकों काव्य संकलन, प्राकत ग्रन्थ, मौलिक रचनाएँ, शोध-प्रवन्ध प्रकाशित । अगरचन्द नाहटा हिन्दी व राजस्थानी के प्रसिद्ध गवेषक विद्वान व लेखक; जैन धर्म, दर्शन, साहित्य एवं कला के विशेषज्ञ । जैनाचार्य श्री कृपाचन्द्र जी सुरी की शिष्यमंडली की प्रेरणा से जैन वाङ्गमय के अध्ययन को प्रेरित । राजस्थान के महान कवि श्री समाजसुन्दर पर सर्वप्रथम शोधकार्य से . शोध प्रवृतियों को प्रेरित । अपने बड़े भाई की स्मति में "अभय जैन ग्रंथालय' की स्थापना कर इसमें हजारों ज्ञात-अज्ञात कवियों व लेखकों की पैतालीस हजार मुद्रित व माठ हजार प्राचीन हस्तलिखित एवं दुर्लभ पुस्तकों का विषद संग्रह किया। अपने पिताश्री की स्मति में "श्री शंकरदान कला भवन" की स्थापना कर इसमें प्राचीन एव कलात्मक सामग्री का संग्रह किया। हजारों ज्ञात-अज्ञात कवियों व लेखकों के साहित्य का विषद अध्ययन व उन पर शोधकार्य कर लुप्त साहित्य को प्रकाशवान किया। प्राचीन साहित्य, इतिहास, कला, दर्शन व धर्मशास्त्र सम्बन्धी विषयों पर चार हजार से भी अधिक शोधपत्र, लेख व निबन्ध प्रकाशित । लिखित व सम्पादित 45 ग्रन्थ प्रकाशित एवं लगभग 20 यंत्रस्थ । अनेकों पत्रपत्रिकाओं का सम्पादन । अनेकों शोध छात्रों को मार्गदर्शन व सहयोग । सम्पर्क --नाहटों की गुवाड, बीकानेर (राजस्थान) । ३६४ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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