Book Title: Tirthankar Mahavira Smruti Granth
Author(s): Ravindra Malav
Publisher: Jivaji Vishwavidyalaya Gwalior

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Page 421
________________ की प्रथम बैठक में न्यास का विधान स्वीकृत कर प्रथम कार्यकारिणी निर्वाचित की गई जिसमें श्री सरदारसिंह चोरडिया अध्यक्ष सर्वश्री तेजमल हर्षावत, रामअवतार शर्मा तथा केशरीमल गंगवाल उपाध्यक्ष श्री मानिकचन्द्र गंगवाल एडवोकेट महामंत्री, सर्वश्री मानिकचन्द्र जैन, टीकमचन्द्र बापना तथा महेन्द्र कुमार जैन मंत्री तथा श्री गंगाधर सरावगी कोषाध्यक्ष तथा बाईस अन्य महानुभाव कार्यकारिणी के सदस्य मनोनीत किये गए। महावीर भवन म्याम ने अपनी प्रारम्भिक गतिविधि के रूप में जहाँ निर्वाण वर्ष में ग्वालियर में आयोजित प्रमुख कार्यक्रमों में सक्रिय सहयोग दिया, वहाँ गालियर में स्थायी रूप से रचनात्मक गतिविधियों के संचालन हेतु "महावीर भवन" के रूप में एक ऐसे स्थायी एवं आधुनिक केन्द्र के निर्माण का निश्चय किया जिसमें एक विशाल सभाग्रह (आडीटोरियम) के अतिरिक्त शोध संस्थान, पुरातत्वीय संग्रहालय, कला वीथिका, अध्यात्मिक पुस्तकालय एवं वाचनालय, साधु-सन्तों तथा विद्वजनों के स्वाध्याय एवं विश्राम कक्ष की पर्याप्त सुविधाएं उपलब्ध हों। इसके निर्माण हेतु प्रसिद्ध वास्तुविद श्री लालपर एवं ऐसोशियेट्स आर्कटिक्टर एण्ड इन्जीनियर्स, नई दिल्ली से इसका डिजायन तथा एस्टीमेट तैयार कराया गया, जिसके अनुसार इस पर लगभग 20 लाख रुपया व्यय होने का अनुमान है। न्यास ने मध्यप्रदेश शासन से इस हेतु कम्पू मैदान में 300x200 फीट का भूखण्ड प्रदान करने की मांग की जिस पर शासन ने प्रारम्भिक रूप से 200 x 150 फीट का भूखण्ड लीज पर न्यास को प्रदान करने की स्वीकृति दे दी, शेष के लिये न्यास अभी भी प्रयासरत है । कम्पू मैदान स्थित इस भूखण्ड पर बुधवार, दिनांक 17 जुलाई 1974 को प्रातः दस बजे मध्यप्रदेश के तत्कालीन मुख्यमंत्री माननीय प्रकाशचन्द्रजी सेठी द्वारा इस भवन की आधार शिला रखी गयी। इस अवसर Jain Education International पर बयोवृद्ध समाजसेबी श्री श्यामलालजी पाण्डवीय (भू०पू० उद्योग मंत्री० म०मा०शासन) की अध्यक्षता में पदमा विद्यालय के सरस्वती भवन में उदघाटन समा रोह में पूज्य मुनि श्री चन्दनमल ने भी इस योजना को अपना आशीर्वाद दिया तथा न्यास अध्यक्ष श्री सरदारसिंहजी चोरडिया ने इस योजना का विस्तृत परिचय प्रस्तुत किया। इस अवसर पर शिलान्यास में प्रयुक्त कभी एवं तसली के विक्रय की बोली के रूप में न्यास को चालीस हजार रुपयों के दान के भी वचन प्राप्त हुए। इसके साथ ही इस योजना के हेतु मध्यप्रदेश शासन से पचास हजार रुपये तथा नगरपालिक निगम, ग्वालियर से एक लाख रुपयों का अनुदान भी स्वीकृत किया गया । ६८० न्यास मण्डल के विशेष अनुरोध पर देश के प्रसिद्ध उद्योगपति माननीय घनश्यामदास जी बिरला ने निर्माण स्थल पर दि. 18 मार्च 1975 को उनके सम्मान मे आयोजित एक समारोह में भवन की योजना का अवलोकन किया तथा उस पर अपने सुझाव दिये । इस अवसर पर माननीय विरलाजी ने "महाबीर भवन" के निर्माण हेतु उदारतापूर्वक ढाई लाख रुपयों की धनराशि दानस्वरूप प्रदान करने की घोषणा की । इस प्रकार व्यास को आर्थिक साधन जुटाने की दिशा में पर्याप्त एवं प्रोत्साहक आश्वासन एवं सहयोग उपलब्ध हुआ जिससे इसके निर्माण कार्य को शीघ्र पूरा करने के प्रयास किये गए । स्थान के प्रसंग को लेकर दुर्भाग्यवश नगर के कुछ राजनीतिक तत्वों ने अपने विरोध के माध्यम से उसे राजनीतिक रूप देने का प्रयास किया, फलस्वरूप निर्माण कार्य स्थगित कर दिया गया । इससे योजना के प्रोत्साहकों को तीव्र वेदना हुई । न्यास मण्डल के अध्यक्ष श्री सरदारसिंह चोरडिया ने घोषणा की कि यदि नगर का एक भी व्यक्ति या वर्ग इसका विरोध करेगा तो न्यास, इस योजना को जो कि ग्वालियर के जनसामान्य के हितार्थ एक अभूतपूर्व उपलब्धि के रूप में For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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