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सिंहासन और सप से फूलों की माला बन गई थी। इससे संयम की महत्ता स्पष्ट है । रचना संक्षिप्त होते हए भी रोचक है । अन्तिम पद्य निन्न प्रकार है
कवि की प्रायः सभी रचनाएँ पुरानी हिन्दी की है, उनमें अपभ्रंश भाषा के पुट के अतिरिक्त देशी भाषा के शब्दों की बहुलता है। इनका प्रकाशन व इन पर शोध कार्य होना चाहिये।
धत्ता- इय वर जयमाला गुणहँ विसाला,
घेल्ह सुतन ठाकुर कहए। जो णरु सुणि सिक्खवइ, दिण-दिण अंक्खइ, सो सुहुमण वंछि उलहए ॥
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