Book Title: Sutrakritang Skandh 02
Author(s): Kantilal Kapadia
Publisher: Kantilal Kapadia

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Page 13
________________ पढमं अज्झयणं पोंडरीयं ॥नमः श्रुतदेवतायै ॥ ६३८. सुयं मे आउसंतेण भगवता एवमक्खायं-इह खलु पोंडरीए णामं अज्झयणे, तस्स णं अयमढे पण्णत्ते-से जहाणामए पोक्खरणी सिया बहुउदगा बहुसेया बहुपुक्खलालद्धट्ठा पुंडरीगिणी पासादिया दरिसणीया अभिरूवा पडिरूवा । तीसेणंपुक्खरणीए तत्थ तत्थ देसे तहिं तहिं बहवेपउमवरपोंडरिया बुइया अणुपुवट्ठिया ऊसिया रुइला वण्णमंता गंधमंता रसमंता फासमंता पासादीया दरिसणीया अभिरूवा पडिरूवा । तीसेणं पुक्खरणीए बहुज्झदेसभाए एगेमहं पउमवरपोंडरीए बुइए अणुपुल्चदिए मसितै रुइले चण्णमेते गंधमंते रसमंते फासमंते पासादीए दरिसणिए अभिरूवे पडिरूवे। सव्वाचंति च णं तीसे पुक्खरणीए तत्थ तत्य देसे तहिं तहिं बहवे पध्मवरपुंडरिया बुझ्या अणुपुव्वहिता जाक्परिरूवा । सव्वावंति चणं तीसे पुक्खरणीए बहुमझदेसभागे एंगे महं पउमवरपोंडरीए बुइते अणुपुव्वट्टिते जाव पडिरूवे । ६३९. अह पुरिसे पुरथिमातो दिसातो आगम्मतं पुक्खरणीं तीसे पुक्खरणीए तीरे ठिच्चा पासति तं महंएगपउमवरपोंडरीयं अणुपुव्वद्वितं ऊसियं जाव पडिरूवं । तएणं से पुरिसे एवं वदासी-अहमंसि पुरिसे खेत्तण्णे कुसले पंडिते बियत्ते मेधावी अबालें मग्गत्थे मग्गविदू मग्मस्स गतिपरक्कमण्णू, अहमेयं पउमवरपोंडरीयं उन्निक्खेस्सामि त्ति कट्ट इति वच्चा से पुरिसे अभिक्कमे तं पुक्खरणिं, जाव जावं चणं अभिक्कमे ताव तावं चणं महंते उदए, महंते सेए, पहीणे तीरं, अप्पत्ते पउमवरंपोंडरीयं, णो हव्वाएणोपाराए, अंतरा पोक्खरणीए सेयंसि विसण्णे पढमे पुरिसज्जाए।

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