Book Title: Sutrakritang Skandh 02
Author(s): Kantilal Kapadia
Publisher: Kantilal Kapadia

View full book text
Previous | Next

Page 123
________________ चउत्थं अज्झयणं 'पच्चक्खाण किरिया' ७४७ सुयं मे आउसंतेणं भगवता एवमक्खातं-इह खलु पच्चक्खाणकिरिया नामज्झयणे, तस्स णं अयमद्वे-आया अपच्चक्खाणी यावि भवति, आया अकिरियाकुसले यावि भवति, आया मिच्छासंठिए यावि भवति, आया एगंतदंडे यावि भवति, आया एगंतबाले यावि भवति, आया एगंतसुत्ते यावि भवति, आया अवियारमण-वयस-काय-वक्के यावि भवति, आया अप्पडिहय अपच्चक्खायपावकम्मे यावि भवति, एस खलु भगवता अक्खाते असंजते अविरते अप्पडिहयपच्चक्खायपावकम्मे सकिरिए असंवुडे एगंतदंडे एगंतबाले एगंतसुत्ते, से बाले अवियारमण-वयस काय-वक्के सुविणमविण पस्सति, पावे से कम्मे कज्जति । ७४८ तत्थ चोदए पण्णवर्ग एवं वदासि-असंतएणं मणेणं पावएणं असंतियाए वतीए पावियाए असंतएणं काएणं पावएणं अहणंतस्स अमणक्खस्स अवियारमण-वयस-काय-वक्कस्स सुविणमवि अपस्सतो पावे कम्मे नो कज्जति । कस्स णं तं हेउं? चोदग एवं ब्रवीति-अण्णयरेणं मणेणं पावएणं मणवत्तिए पावे कम्मे कज्जति, अण्णयरीए वतीए पावियाए वइवत्तिए पावे कम्मे कज्जति, अण्णयरेणं कारणं पावएणं कायवत्तिए पावे कम्मे कज्जइ । हणंतस्स समणक्खस्स सवियारमण-वयस-काय-वक्कस्स सुविणमवि पासओ एवंगुण-जातीयस्स पावे कम्मे कज्जति । पुणरवि चोदग एवं ब्रवीति-तत्थ णं जे ते एवमाहंसु 'असंतएणं मणेणंपावएणं असंतियाए वतीए पावियाए असंतएणंकाएणंपावएणं अहणंतस्स अमणक्खस्स अवियारमण-वयस-काय-वक्कस्स सुविणमवि अपस्सतो पावे कम्मे कज्जति', जे ते एवमाहंसु मिच्छा ते एवमाहंसु । 112

Loading...

Page Navigation
1 ... 121 122 123 124 125 126 127 128 129 130 131 132 133 134 135 136 137 138 139 140 141 142 143 144 145 146 147 148 149 150 151 152 153 154 155 156 157 158 159 160 161 162 163 164 165 166 167 168 169 170 171 172 173 174 175 176 177 178 179 180 181 182 183 184