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[ पाठ ]
प्रस्तुत पुस्तक "श्रीमद् देवचन्द्र पद्य-पीयूष" में संग्रहीत रचनाओं में कुछ एक को छोड़ कर सभी स्तवन, सज्झाएँ, पद आदि का संग्रह जैन समाज के जाने माने पुरातत्व विद्, प्राचीन जैन साहित्य के उद्धारक तथा जैन शास्त्र भंडारों के अन्वेषक श्रीमान् अगरचंदजी नाहटा बीकानेर ने किया है।
इन संग्रहीत रचनाओं में कुछ एक तो ऐसी हैं जो नाहटा जी ने स्वयं शोधकर शास्त्र भंडारों से बाहर निकाली हैं, जो अभी तक कहीं प्रकाशित नहीं हुई हैं। कुछ रचनाएं ऐसी भी संकलित की गई हैं जो इस के पूर्व छप तो चुकी हैं परन्तु वे गुजराती में छपी हैं। अत: हिन्दी भाषी लोगों के लिए तो प्रस्तुत पुस्तक में प्रकट रचनाएँ अधिकतर नई और पहली बार ही छपी हैं ।
पाठकों की सुविधा के लिए प्रस्तुत पुस्तक की रचनाओं को पांच खण्डों में विभाजित किया गया हैं, जो निम्न प्रकार हैं१. जिनेश्वर देवों की स्तवन-स्तुतियाँ २. तीर्थ स्थल व विविध स्थानों के मन्दिरों से संबंधित स्तवम-स्तुतियां ३. तप, पर्व, महोत्सव संबंधी रचनाएँ ४. जिनराज आंगिक वर्णन ५. सज्झाय व गहूँली
श्रीमद् जैसे बहुमुखी प्रतिभा के धनी व प्रादर्श संत की रचनाओं का रसास्वादन । करने के पूर्व ऐसे असाधारण संत कवि के जीवन के संबंध में उनके व्यक्तित्व एवं कर्तृत्व के विषय में भी जानकारी की जिज्ञासा एवं उत्सुकता रहना स्वाभाविक ही है। अतः श्रीमद् का जीवन चरित्र भी प्रस्तुत पुस्तक में विस्तार से दे दिया गया है।
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