Book Title: Shraddhey Ke Prati
Author(s): Tulsi Acharya, Sagarmalmuni, Mahendramuni
Publisher: Atmaram and Sons

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Page 10
________________ अनुक्रम देव १ नमो अग्हिताण २ हे दयालो देव । ती शरण हम मब पा रहे ३ लो जैन जगन के तीकर मेरा प्रणाम लो ४ देव । दो दशन तुम्हाग ५ महावीर प्रभु के चणा में ६. वीर प्रभु के चरण-कमल मे वदन शत-शत वार करें ७ लो ध्यान धम् १ है मद्गुर एक सहाग २ हमारे ऐसे मद्गुरु की मदा शिर छत्र छाया हो ३ जागृति जैन की जग में, जयो भिक्षु जयो भिक्षु ४ अहा । अभिनव उच्छव छाए, तेगप यान में " बोलो जय भिक्षु, प्राय रहताने वाले ६ हिन-मिल सघ चतुष्टय उत्सव आज मनाएग ७ तू मन मन्दिर में प्राजा . दीपा लात दुलारे ६ दिन मे शामन मे ग्मे, गुर या हमे बरदान है १० वीर वे अनुगामी भिक्ष स्वामी में गुण गायेंगे १. १ प्राण दवते । तेरी ज्योज्यो म्मृनि हो रही १० प्रभु यह तेराय मुप्याग १३ मगन है पाज ते मामन मे मार-मान १४ देय तुम्हार धीमा में श्रद्धा का उपहार करें १। प्रो । श्वन गरी मन सैनिए । प्रपना पन बनाना है १६ बग्ने सपा या पल्याण १७ सोमगिदा, माम-विजयादा वरदान १८ यरल हो, अभिनदन हा, ये तन मन चरण चढाए हम

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