Book Title: Shraddhey Ke Prati Author(s): Tulsi Acharya, Sagarmalmuni, Mahendramuni Publisher: Atmaram and Sons View full book textPage 9
________________ होने के कारण इसकी ऐतिहासिक उपयोगिता भी बन गई है । प्रत्येक गीति में तात्कालिक वातावरण का आभास मिलता है और प्राचार्यवर की दृढ आत्मशक्ति का भी। जो हमारा हो विरोध, हम उसे समझे विनोद, सत्य सत्य शोध में तव ही सफलता पायेंगे। ये पद्य जयपुर चतुर्मास के भयंकरतम दीक्षा-विरोध की ओर सकेत करते है । इसी प्रकार विभिन्न गीतिकाओं में संघ के अन्तरंग व बहिरंग विभिन्न वातावरणो का सकेत मिलता है । संवत्, तिथि, गांव व साधु-संख्या आदि का भी ऐतिहासिक व्यौरा गीतिकाओं में सुरक्षित है । पिछले युगों मे सकलन-प्रथा विकसित नहीं थी, इसीलिए बहुत सारे ऐतिहासिक तथ्य आज विलुप्त हो गए है । वर्तमान युग ने विखरी चीजों को बटोरकर रखने का दृष्टिकोण दिया है। प्रस्तुत ग्रन्थ भी समय-समय पर रची गई रचनायो का संकलन है और पाने वाले युगों में इसका ऐतिहासिक महत्त्व उभरता रहेगा, यह निस्सदेह है । मुनि महेन्द्रकुमार 'प्रथम १६ जुलाई, १९६१ वृद्धिचन्द जैन स्मृति भवन न्यावाजार, दिल्लीPage Navigation
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