Book Title: Saraswati 1935 07
Author(s): Devidutta Shukla, Shreenath Sinh
Publisher: Indian Press Limited

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Page 17
________________ योरप - जैसा कि मैंने उसे देखा संख्या १] स्वभाव के अनुकूल नहीं होता - विशेष कर उनके जो शान्तिमय आनन्द पसन्द करते हैं । सौभाग्य से इस जहाज का पुस्तकालय सज्जित है और समय व्यतीत करने के लिए यहाँ नई से नई पुस्तकें प्राप्त हो सकती हैं । सिनेमा, नृत्य और शिकार का भी प्रबन्ध है । पहले यह आस्ट्रिया का जहाज था । परन्तु जब इटलीवाला ने ट्रीस्ट पर अधिकार किया तब युद्ध के बाद से यह भी उनके अधिकार में आ गया। समस्त महत्त्वपूर्ण बन्दरों पर ठहरता हुआ यह शंघाई से ट्रोस्ट तक जाता आता है। मेरे मित्र इस्सर बड़े निपुण फोटोग्राफर हैं। उन्होंने कृपापूर्वक कुछ फोटो मुझे भी दिये जो उन्होंने मार्ग में लिये थे । वे यहाँ छापे जाते हैं। एक बड़े यात्री जहाज का सुन्दर प्रबन्ध देखकर हम सब आश्चर्यचकित हुए हैं। भारतीय इटालियन लाइन को बहुत पसन्द करते हैं, क्योंकि इसके जहाजों में भोजन अति उत्तम और विभिन्न प्रकार का मिलता है । संसार के विभिन्न भागों के फल, योरप अमरीका और भारत की खाद्य सामग्री और आठ विभिन्न देशों के रसोइयें इसके जहाज में यात्रियों की सेवा करने के लिए उपस्थित हैं । इस जहाज में ५०० मुसाफ़िर और लगभग ३५० नाविक हैं । सब मिलाकर ९०० आदमी हैं, जिन्हें प्रतिदिन चार बार नियत समय पर भोजन मिलता है । कोइ भी फल जितने आप चाहें, मिल सकता है । जहाज़ का भाण्डार अक्षय्य प्रतीत होता है । इस जहाज में एक बड़ा तापहारी कमरा है, जिसमें सब प्रकार के फल, मांस और अन्य प्रकार की खाद्य सामग्री रक्खी जा सकती है। हमें यहाँ Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat गोभी, जो अब उत्तर भारत में शायद ही मिले, और बहुत-सी भारतीय फलियाँ जो अब वहाँ बे-मौसम हैं, मिल सकती हैं । जहाजवालों ने इन वस्तुओं को महीनों पहले खरीदा था और तापहारी कमरे में जमा कर रखा है। मरे मित्र......, मुझे यह उल्लेख करते हुए दुःख होता है, बुरी सोहबत में पड़ गये और यदि हम उन्हें सचेत करने का शीघ्र प्रयत्न न करते तो हालत और भी ख़राब हो जाती। उनकी सदिच्छा और हमारे अनु नय-विनय को धन्यवाद है कि उन्होंने वह सोहबत छोड़ दी और हमारे बीच में आ गये। फिर वे उस 'काकटेल बार' में न गये, जिसमें वे कुछ विदेशी मित्रों के साथ आधे दर्जन बार जा चुके थे और बहुत बेवकूफ़ बनाये गये थे । श्रीयुत तिवारी भी जो मेरे ही कमरे में थे, बड़े आनन्द के साथ जा रहे हैं । वे लन्दन में क़रीब तीन महीने ठहरेंगे । वहाँ उन्होंने से मिलने का वादा किया है । जो लोग मिस्र की एक झलक - प्राचीन पिरामिड, रहस्यमयी ममी और गंदा बाजार देखना चाहते हैं। उन्हें यह जहाज बड़ा सुन्दर अवसर देता है । वे स्वेज़ में उतर सकते हैं। टामस कुक एण्ड सन्स के कर्मचारी वहाँ से मुसाफ़िरों को 'लाञ्च बोट' पर किनारे और वहाँ से मोटर पर कैरो ले जाते हैं । कुछ मित्रों ने, जिनमें मैं भी हूँ, इस यात्रा में सम्मिलित होने के लिए लिखा-पढ़ी की है। मुझे आशा है कि जब मैं शहर लौहूँगा तब मैं अपने पाठकों को मिस्र और उसके निवासियों के बारे में कुछ नई बातें बता सकूँगा । www.umaragyanbhandar.com

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