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वजालानां प्राकृत पदोमां पण लता अने हास्यनी सहोपस्थिति छे.
घटको
हसु याज्ञिक
वैयादिनी जे शृंगारपूर्ण उक्तिओ छे. एमो पण अली
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केटीक कमाना घटकरूप निरूपणोमां कथानक जेम हास्य निष्पन्न करवानी शक्ति छे. कोदाळी, नीसरणी अने दोरानो घटक आ प्रकारनो छे कोई ज्योतीष के विज्ञाननी साथै कोदाळी, नीसरणी अने दोर ए उप जायस्यां साधे होय ज. ज्यां आयो साघनो राखवानु कारण हास्य जन्मावे छे. राजा भोज अने गांगा तेलीनी कथामो आ प्रकारनु निरूपण छे. श्रीश वर्ष सुधी विद्याभ्यास करी चूकेलो विद्वान प्रतिष्ठानमा आग्यो ठांसी ठांसीने भरेली विद्या ताळवेश्री नीकळी न जाय माटे माथा पर अंकुश राख्यो ने पेट फाडी बहार नीकळी न जाय ए माटे पेठे तास बांच्यो एनी साथै एना मग अनुचर शिष्यो नीसरणी, कोदाळी अने लडनो पूळो ऊचकीने साथ रहेता - जेथी प्रतिस्पर्धी पराजय पामी स्वर्गमां नाशी जाय तो नीसरणी मांडीने ने पाताळमां ऐसी जाय तो कोदाळीचं धरती खोदीने पकड़ी लगाय ने पराजय बदल एना दांतमां तरणु पकडावी शकाय. आने मळ व निरूपण श्री पींगलशी गढवीए कहेली 'गांडा पाणी' कथामां मळे से. मळतु क्योतीषी पासे नीसरणी, कोदाळी अने दोर छेएटला माटे के मूरत आकाशमां गयु' होय तो नीसरणी वडे उपर जईने, पाताळमां प्रवेश्य होय तो कोदाळीथी खोदीने पकडी, दोरडे बांघी लावी शकाय. ए जोशीए आगाही करी के मावठु थशे ने पाणी पडशे. जे कोई ए पाणी पीशे ते गांडु थशे. ने पाणी पड, राजगए पाणी न पीवानो ढोल एके पीधु, बीजाए पीधु ने आखी प्रजा थई गांडी. राजा कहे, 'हवे प्रधान बोल्यो, 'एक रस्तो छे बापु पाणी पीवामां हु ने तमे वे अ तथा प्रधाने पण ए पाणी पीधु त्यारे सुखी थया. सूक्ष्म हास्य
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वगडाव्यो जिज्ञासामो
आ कथानकमां छे तेम केटलाक अन्य मध्यकालीन कथानकोमां पण आपणे जेने नर्म Wit अने मर्म Humour कहीए छीए एवां केटलॉक कथानको मळे छे. जातक आ कथानक जुओ राजा महापिंगल अत्यंत दुष्ट हतो. पमा मृत्युधी बधा खुश पपा. मात्र द्वारपाल रहवा लाग्पो, बोधिसत्त्वे कारण पूछतां द्वारपाल बोपो 'राजा रोज महलमां जो आवतां मने आठ धुंबा मारतो. उपर यमराजाने मारशे ने यमराजा एने पाछो मोकलशे तो १- आ विचार मने रडावे छे. '
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कथा स. सा. अने पंचतंत्रनी वधारानी कथामां आवतु आ कथानक नर्मनो सुंदर नमूनो छे कोई शेठने वीणावाद के खुश करतां शेठे कोठारीने वे हजार पण आपचा का कोठारीए पैसा न आपतां वीणावाद के फरियाद करी. शेठ बोल्यो; 'पैसा शु काम आपे ? तें जेम मने श्रवणसुख आय एम में पण तने श्रवणसुख आप्यु.'
आज कथा स. सा (३, १०३) ने पंचतंत्रनो वकरानी कथामा आवतु चांडालकन्यानुं कथानक जुओ :
कोई सुंदर चांडाल कन्या उत्तम वर परवानी इच्छाए कोई राजा पाछळ गई. राजाए रस्तामा एक साधुने वंदन कर्याथी साधुने राजा करतां चडियातो मानी साधुने अनुसरी. रस्तामां ३० शोध अने स्वाध्याय पृ० ४४९
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आनो उपाय शुं १" बाकी छीए' ने राजा
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