Book Title: Samaysara Siddhi 5
Author(s): Kanjiswami
Publisher: Simandhar Kundkund Kahan Adhyatmik Trust Rajkot

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Page 435
________________ ૪૨૦ સમયસાર સિદ્ધિ ભાગ-૫ श्लोsर्थि:- [भावः] ७१ मा छे (अर्थात् मा१३५ छे) [ एकस्य ] मेयो मेऽ नयनो ५६ छ भने [न तथा] १ मा नथी (अर्थात समाव३५ छ) [ परस्य] मेयो की नयनी ५१ छ; [इति] म [ चिति] यित्स्५३५ विषे [द्वयोः] बे नयोन। [द्वौ पक्षपातौ] ले ५१५त . [ यः तत्त्ववेदी च्युतपक्षपातः ] ४ तत्त्ववेदी पक्षातरहित छ [ तस्य ] तेने [ नित्यं ] निरंतर [ चित्] यित्स्व३५ ७५ [ खलु चित् एव अस्ति] यिस्प३५४ छे.८०. ( श्लोs - ८१ ) (उपजाति) एकस्य चेको न तथा परस्य चिति द्वयोर्धाविति पक्षपातौ। यस्तत्त्ववेदी च्युतपक्षपात स्तस्यास्ति नित्यं खलु चिच्चिदेव।।८१।। सोडार्थ:- [ एकः] ®५ मे छ [ एकस्य ] मेयो मे नयनो ५६ छ [ च] भने [न तथा] ७५ नथी (-अनेछ )[परस्य] मेयो की नयनो ५६ छ; [ इति] माम [ चिति]यित्स्५३५ विषे [द्वयोः ] लेनयोन।[द्वौ पक्षपातौ]ले ५क्षत छे. [ यः तत्त्ववेदी च्युतपक्षपात:] तत्त्वही पक्षातरहित छ [तस्य] तेने [नित्यं] निरंतर [ चित्] यित्स्व३५ ७५ [ खलु चित् एव अस्ति ] यित्स्५३५४ छे. ८१. ( लो - ८२ (उपजाति) एकस्य सान्तो न तथा परस्य चिति द्वयोाविति पक्षपातौ। यस्तत्त्ववेदी च्युतपक्षपात स्तस्यास्ति नित्यं खलु चिच्चिदेव।।८२।। मोर्थ:- [ सान्तः] ७५ सia (-अंत सहित) छ [ एकस्य ] मेवो मे नयनो ५६ छ भने [न तथा] ७५ सात नथी [परस्य भयो नी नयनो ५६ छ; [इति] साम [ चिति]यित्स्प३५ विषे [द्वयोः] बेनयोन।[द्वौ पक्षपातौ] ५क्षत छे. [ यः तत्त्ववेदी च्युतपक्षपात:] तत्त्वही पक्षातरहित छ [ तस्य] तेने [ नित्यं] निरंतर [ चित्] यित्स्व३५ ०५. [ खलु चित् एव अस्ति ] यित्स्१३५ ४ छे. ८२.

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