Book Title: Rushibhashit Sutra
Author(s): Vinaysagar, Sagarmal Jain, Kalanath Shastri, Dineshchandra Sharma
Publisher: Prakrit Bharti Academy
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पिटुओ कम्पेमाणे व्व मेइणितलं, साकड्ढन्ते व्व पायवे, विप्फोडेमाणे व्व अम्बरतलं, सव्वतमोरासि व्व पिण्डिते, पच्चक्खमिव सयं कतन्ते भीमरवं करेन्ते महावारणे समुट्टिए, उभओ पासं चक्खुणिवाए सुपयण्डधणुजन्तविप्पमुक्का पुजमेत्तावसेसा धरणिप्पवेसिणो सरा णिपतति, पहुयवहजालासहस्ससंकुलं समन्ततो पलित्तं धगधगेति सव्वारण्णं, अचिरेण य बालसूरगुंजद्धपुंजणिकरपकासं झियाइ इंगालभूतं गिहं आउसो! तेतलिपुत्ता! कत्तो वयामो?'
तदनन्तर वह स्वर्णकार-पुत्री पोट्टिला छोटे-छोटे धुंघरुओं से युक्त पंचवर्णीय श्रेष्ठ वस्त्रों को धारण कर, आकाश में खड़ी होकर इस प्रकार बोली-आयुष्मन् तेतलिपुत्र! आओ और इसे समझो। तुम्हारे समक्ष गिरिशिखर-कन्दरा (गुफा) से विस्तीर्ण जल-प्रपात हो रहा है और तुम्हारे पीछे भूतल को कम्पायमान करता हुआ, वृक्षों को उखाड़ता हुआ, आकाश को भेदन करता हुआ, समस्त तमराशि से पिण्डीभूत अन्धकार के समान, प्रत्यक्ष में महाकाल-सा भयंकर गर्जारव करता हुआ महान् गजराज सामने खड़ा हुआ है। पलक मात्र में दोनों तरफ से प्रचण्ड धनुष से छूटे हुए, पुंख-मात्र दिखाई देने वाले, पृथ्वी में समा जाने वाले बाण गिर रहे हैं। हजारों लपटों से प्रज्वलित आग की ज्वालाओं से सारा जंगल धू-धू करता हुआ जल रहा है और शीघ्र ही उदीयमान सूर्य आरक्त गुजा (चिरमी) के अर्द्धभाग की राशि की प्रभा के सदृश (आग की लपटों से) अंगार बना हुआ घर जल जावेगा। आयुष्मन् तेतलिपुत्र! (ऐसा होने पर) कहां जावें?
Subsequent to it, the goldsmith's daughter Pottila, ceremoniously garbed and wearing tiny jingling bells, declaimed unsupported from the sky above :
Thou live long Taitaliputra. Dost thou then see the torrential water-fall resounding in the massive gully? At your back there moves the mammoth dark elephant trumpeting fiercely resounding the sky and thumping this terrain all aghast. It knocks down huge trees obstructing its path. Instantaneously fiery arrows seemed to be showered from terrific bows on both sides, making their way right into the entrails of the earth. The entire forest range was all aflame. Soon this half-risen scarlet morning sun will explode into bits. Where is the refuge then Taitaliputra?
तते णं से तेतलिपुत्ते अमच्चे पोट्टिलं मूसियारधूयं एवं वयासि : पोट्टिले! एहि ता आयाणाहि : भीयस्स खलु भो पव्वज्जा, अभिउत्तस्स (....) सवहणकिच्चं, मातिस्स रहस्सकिच्चं, उक्कंठियस्स देसगमणकिच्चं, 282 इसिभासियाई सुत्ताई