Book Title: Rushibhashit Sutra
Author(s): Vinaysagar, Sagarmal Jain, Kalanath Shastri, Dineshchandra Sharma
Publisher: Prakrit Bharti Academy

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Page 510
________________ विण्णासो ओसहीणं तु 21, 9 विण्णासो ओसहीणं तु 21, 10 विसं वा अमतं वा वि 4, 21 वीतमोहस्स दन्तस्म 45, 24 वेसपच्चाणसंबद्धे 38, 21 सए गेहे पलित्तम्मि 35, 13 319 320 257 428 407 391 324 285 273 311 381 271 381 335 271 295 330 सकुणी संकुप्पघातं च 18, 1 310 सक्का तमो णिवारेतुं 36, 6 396 सक्का वण्ही णिव रेतुं 36, 3 396 सक्का वण्ही णिवारेतुं 3, 13 250 433 साहं सरबुद्धं 45, 44 सच्छंदगतिपयारा 6, 8 सज्झायज्झाणोवगतो जितप्पा 17, 8307 263 सत्तं बुद्धी मती मेधा 36, 7 397 431 391 सत्तं बुद्धी मती मेधा 45, 34 सत्थं सल्लं विसं जन्तं 35, 11 सत्थकं वा वि आरम्भं 38, 18 सत्थेण वहिणा व वि 45, 18 सदेवमाणुसाकामा 28, 7 406 427 355 सदेवोरगगन्धव्वं 23, 17 357 सदेवोरगगन्धव्वं 45, 47 434 सदेवोरगगन्धव्वे 21, 11 331 संकणीयं च जं वत्युं 22, 10 संजोए जो विहाणं तु 11, 3 संततं बंधते कम्मं 9, 10 संधिज्जा आरियं मग्गं 19, 3 पुण्णवाहिणीओ वि 33, 14 संवरो निज्जरा चेव 9, 4 संसग्गितो पसूयन्ति 33, 13 संसारसंतई चित्ता 24, 26 संसारसंतईमूलं 9, 2 संसारे दुक्खमूलं तु 15, 2 संसारे सव्वजीवाणं 24, 4 सोतमुवादाय 29, 3 सन्तमेतं इमं कम्मं 13, 3 सन्तस्स करणं णत्थि 13, 2 सन्ते जम्मे पसूयन्ति 15, 18 सब्भाववक्कविवसं 33, 11 सब्भावे दुब्बलं जाणे 38, 28 सभावे सति कन्दस्स, जहा 15, 5 सभावे सति कन्दस्स, धुवं 15, 3 सभावे सति पावस्स 15, 4 समस्सिता गिरिं मेरुं 33, 15 सम्म कम्मपरिणाणं 17, 4 सम्मत्तं गोत्थणवो 26, 10 सम्मत्तं च अहिंसं च 33, 17 सम्मत्तं च दयं चेव 9, 18 सम्मत्तं च दयं चेव 38, 17 सम्मत्तणिरतं धीरं 29, 18 सम्मत्तरियं धीरं 33, 12 सम्म रोगपरिणाणं 17, 3 सम्मामिच्छापओतेणं 33 सल्लं कामा, विसं कामा 28, 4 सवन्ति सव्वतो सोता 29, 1 सवसो पावं पुरा किच्चा 24, 30 सवसो पावं पुरा किच्चा 45, 7 सवसो पावं पुरोकिच्चा 15, 14 सव्वं च सव्वहिं चेव 1, 1 सव्वण्णुसासणं पप्प 45, 33 सव्वतो विरते दन्ते 1, 2 सव्वत्थ णिरणुक्कोसा 24, 8 सव्वत्थ विरये दन्ते 29, 19 सव्वसत्तदयो वेसो 38, 12 सव्वं सोयव्वमादाय 1, 3 सव्विंदिएहिं गुत्तेहिं 26, 6 सागरेणावणिज्जोको 45, 52 360 290 289 299 380 409 296 296 296 381 306 348 382 275 406 364 380 306 378 354 360 336 24 298 242 430 242 331 364 405 242 347 435 ऋषिभाषित का पद्यानुक्रम 509

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