Book Title: Rushibhashit Sutra
Author(s): Vinaysagar, Sagarmal Jain, Kalanath Shastri, Dineshchandra Sharma
Publisher: Prakrit Bharti Academy

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Page 508
________________ 351 331 424 298 249 298 दुभासियाए भासाए दुक्कडेण 33, 3 378 पत्थन्ति भावओ कामे 28, 5 355 दुहरूवा दुरन्तस्स 38, 16 406 पत्थरेणाहतो कीवो 15, 20 300 देज्जाहि जो मरन्तस्स 45, 15 426 पयंडस्स णरिंदस्स 45, 35 431 जे हुतासं विवज्जते 45, 11 425 पयहित्तू सिणेहबन्धणं 27, 2 देविन्दा दाणविन्दा य 24, 9 परं णवग्गहाभावा 9, 31 278 देविन्दा समहिड्ढीया 24, 7 331 परिग्गहं गिण्हते जो उ 3, 5 249 दोसादाणे णिरुद्धम्मि 9, 20 275 परिवारे चेव वेसे य 38, 25 408 धारणी सुसहा चे० 24, 2 329 परोवघाततल्लिच्छो 45, 6 धावन्तं सरसं सरिसंतार 45, 12 426 परोवघाततल्लिच्छो 15, 13 धित् तेसिं गामणगराणं 22, 1 322 __परोवघायतल्लिच्छो 24, 28 335 धित् तेसिं गामणगराणं 22, 8 323 पाणतिवातो लेवो 3,7 धिती अलंचसुहिय 26, 13 349 पाणी य पाणिघातं च 45, 19 427 धूमहीणो य जो वाही 15, 26 301 पावं जे उ पकुव्वन्ति 15, 15 न चिरं जणे संवसे मुणी 27, 1 351 पावं जे उ पकुव्वन्ति 45, 8 425 नण्हातो व सरं रम्म 45, 28 429 ___पावं ण कुज्जा, ण हणेज्ज पाणे 45, 2 423 निच्चलं कयमारोग्ग 24, 40 338 ___ पावं परस्स कुव्वन्तो 15, 11 298 निव्वत्ती वीरियं चेत्र 9,7 272 पावं परस्स कुव्वन्तो 24, 27 335 पंच जागरओ सुत्ता 29, 2 360 पावं परस्स कुव्वन्तो 45, 4 424 पंच जागरओ सुत्ता 38, 6 403 पावकम्मोदयं पप्प 45, 13 पंचमहव्वयजुत्ते 3.4, 5 387 पावघाते हतं दुक्खं 15, 6 पंचवणीमकसुद्धं 12, 2 287 पावमूलमणिव्वाणं 15, 1 295 पंचवणीमगसुद्धं 42, 15 418 पुढविं आगम्म सिरसा 5, 1 259 पंचिन्दियाई सण्णा 35, 19 393 पुण्णं तित्थमुवागम्म 33, 10 380 पंचेव इंदियाणि तु 26, 11 348 पुण्णपावस्स आदाणे 9, 3 271 पंथाणं रूवसंबद्ध : 2, 3 288 पुत्तदारं धणं रज्जं 45, 16 मक्खिणो घतकुम्भे वा 41, 6 पुरिसो रहमारूढो 9, 23 276 पच्चाणं चेव रूवं व 38, 23 408 पुव्वं माणं जिणित्ताणं 29, 16 363 पच्चुप्पण्णरसे गिद्धी 15, 12 298 पुव्वरत्तावरत्तम्मि 4, 11 254 पच्चुप्पण्णरसे गिद्धो 45, 5 पुव्वजोगा असंगत्ता 9, 30 278 पच्चुप्पण्णरसे गिद्धी 24, 29 . 336 फासं तयमुवादाय 29, 11 362 पडिस्सुयासरिसं कम्मं 30, 8 366 बम्भचारी जति कुद्धो 38, 22 407 पत्तस्स मम य अन्नेसिं 36 395 बज्झए मुच्चए चेव 24, 37 338 पत्तिन्धणस्स वण्हिस्स 15, 25 301 बद्धचिन्धो जधा जोधो 45, 39 432 ऋषिभाषित का पद्यानुक्रम 507 426 296 427 424

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