Book Title: Rushibhashit Sutra
Author(s): Vinaysagar, Sagarmal Jain, Kalanath Shastri, Dineshchandra Sharma
Publisher: Prakrit Bharti Academy

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Page 506
________________ 251 कोहेण अप्पं डहती परं च 36, 12 398 जत्थत्थी जे समारम्भा 22, 11 324 कोहो बहुविही लेवो 3, 8 249 जधा खीरं पधाणं तु 3, 11 250 खइणं पमाणं वत्तं 33,9 380 जधा रुप्पिकुलुब्भूतो 45, 41 432 खणथोवमुत्तमन्तरं 28, 24 359 जम्मं जरा य मच्चू य 21, 3 318 खिज्जते पावकम्माणि 9, 15 274 जस्स एते परिण्णाता 3, 14 खीरे दूसिं जधा पप्प 3, 10 250 जस्स कज्जस्स जो जोगो 38, 19 406 गंभीरमेरुसारे वि 36, 8 397 जस्स भीता पलायन्ति 2, 1 244 गंभीरं सव्वतोभदं 9, 33 279 जहा अंडे जहा बीए 9, 6 272 गम्भीरं सव्वतोभदं 45, 30 430 जहा आतवसंतत्तं 9, 25 277 गच्छंति कम्मेहि सेऽणुबद्धे 2, 3 244 जहा कवोता य कविंजला य 12, 1 287 गन्धं घाणमुवादाय 29,7 361 जहा कवोता य कविंजला य 41, 16 418 गम्भीरोवि तवोरासी 36, 11 397 जहा निस्साविणिं नावं 28, 20 358 गरन्ता मदिरा वा वि 22, 4 323 जागरन्तं मुणिं वीरं 35, 23 394 गलुच्छिन्ना असोते वा 41, 3 415 जागरह णरा णिच्चं 35, 22 393 गाहाकुला सुदिव्वा व 22, 2 322 जागरह णरा निच्चं 35, 20 393 गेहं वेराण गंभीरं 22, 6 323 जा जया सहजा जा वा 24, 15 332 चंचलं सुहमादाय 24, 31 336 जाणेज्जा सरणं धीरो 38, 20 407 चोरं पि ता पसंसन्ति 4, 14 255 जातं जातं तु विरियं 45, 53 छज्जीवकायहितए 26,7 347 जारिसं किज्जते कम्मं 30, 3 365 छिण्णसोते भिसं सव्वे 28, 1 . 354 जारिसं वुप्पते बीयं 30, 2 365 छिण्णादाणं धुवं कम्मं 15, 27 301 जित्ता मणं कसाए या 29, 17 363 छिन्नमूला जहा वल्ली 24, 23_ 334 जीवो अप्पोवघाताय 28, 14 357 छिण्णादाणं सयं कम्मं 24, 22 334 जुज्जए कम्मुणा जेणं 24, 25 335 जइ परो पडिसेवेज्ज 35, 15 392 जेभिणन्दन्ति भावेण 45, 25 428 जइ मे परो पसंसत्ति 4, 16 255 जा पुत्तं पावकं कम्मं 39, 1 411 जइ मे परो विगरहाति 4, 17 256 जे गिद्धे कामभोगेसु 28, 19 358 जं उलूका पसंसन्ति 4, 18 256 जे जणा आरिया णिच्चं 19, 4 जं कडं देहितो जेणं 24, 17 333 जे जणाऽणारिए णिच्चं 19, 2 जं च बाला पसंसन्ति 4, 19 256 जेण जाणामि अप्पाणं 4, 3 253 जं तु परं णवएहिं 6, 6 262 जेण बन्धं च मोक्खं च 17, 2 306 जं सुहेण सुहं लद्धं 38, 1 402 जे जीवणहेतु पूयणट्ठा 27, 6 352 जग्गाही, मा सुवाहि 35, 18 392 जे चोलकउवणयणेसु वा 27, 5 352 जणवादो ण ताएज्जा 7, 1 265 जेण केणइ उवाएणं 34, 1 386 ऋषिभाषित का पद्यानुक्रम 505 435 312 311

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