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Once a tamed elephant in his ancestoral home ran amuck and finding no way to control the elephant, his grandfather desired that the elephant be shot dead. But young Krishna Menon did not like the idea and persuaded him not to kill the elephant. So, the life of an animal was saved and the Mahout succeeded in controling the elephant.
Once a leading Jain monk, Muni Sushil Kumar, who was active in the 'ban cow slaughter movement' approached Krishna Menon to get his signatures on an appeal demanding a ban on cow slaughter. The Muni was surprised when Krishan Menon told him: 'Why ban only cow slaughter? Why not ban slaughter of all animals"? The Muni was taken aback to find such a vociferous supporter of non-violence and a friend of animals.
हिन्दी रूपान्तर
ब्रिटेन में भारत तत्कालीन उच्चायुक्त श्री कृष्णा मेनन जब (ब्रिटेन में ) अपने दफ्तर की लिफ्ट में जा रहे थे, तो उन्होंने युवक लिफ्टचालक को उदास अवस्था में पाया। कारण पूछने पर उसने बताया कि 'उसकी हाथ की घड़ी कहीं खो गई है।' उसी क्षण बिना विशेष सोचे विचारे श्री मेनन ने अपने हाथ की कीमती घड़ी को उतारकर उसे दे दी और उसे खुश रहने को कहा। घड़ी पाते ही युवक के चेहरे पर खुशी की लहर दौड़ पड़ी और उसने उन्हें 'धन्यवाद' कहा ।
जानवरों के एक मित्र
कृष्णा मेनन को किसी घोड़ा गाड़ी में, जिसमें घोड़े को बार-बार बेरहमी से चाबुक मारा जाता है, उस गाड़ी से जाना बिल्कुल पसन्द नहीं था । उन्होंने कभी भी घोड़े या हाथी की सवारी नहीं की, यद्यपि उनकी युवावस्था में उनके पुश्तैनी घर में बहुत सारे हाथी थे ।
एक समय उनके पुश्तैनी घर में एक सधा हुआ ( पालतू ) हाथी पागल हो गया । उसको नियंत्रित करने का ओर कोई उपाय न पाकर उनके दादाजी ने उसे मारने का विचार किया। लेकिन युवक कृष्णा मेनन को उनका यह विचार पसन्द नहीं आया और उन्होंने अपने दादाजी को हाथी को न मारने के लिए मना लिया। इस तरह से एक जानवर की जिन्दगी बच गई। कुछ समय बाद महावत ने उसको काबू करने में सफलता प्राप्त कर ली । एक बार जैन संत मुनि सुशील कुमार जो कि 'गोवध - प्रतिबंध आन्दोलन' में सक्रिय थे । उन्होंने कृष्णा मेनन से 'गोवध - प्रतिबन्ध आन्दोलन' के माँगपत्र पर हस्ताक्षर करने का आग्रह किया। लेकिन मुनिश्री को आश्चर्य हुआ जब श्री मेनन ने उनसे कहा कि “सिर्फ गोवध ही क्यों ? सभी जानवरों की हत्या पर प्रतिबन्ध लगना चाहिए ।" मुनि जी को जानवरों के एक मित्र और अहिंसा के कट्टर समर्थक को पाकर हैरानी हुई।
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प्राकृतविद्या जुलाई-सितम्बर '99