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डिप्लोमा पाठ्यक्रम 1998-99 प्रथम स्थान श्रीमती रंजना जैन
99.0% द्वितीय स्थान
श्रीमती शारदा जैन - 96.5% तृतीय स्थान - श्री अनिरुद्ध जैन
93.5% प्रमाणपत्रीय पाठ्यक्रम 1998-99 प्रथम स्थान श्रीमती सरिता जैन
97.0% द्वितीय स्थान - कु० साधना जैन - 95.5% तृतीय स्थान - कु० लीना जैन - 93.5%
दोनों पाठ्यक्रमों में परीक्षा में सम्मिलित सभी छात्र-छात्रायें उत्तीर्ण हुये हैं, परीक्षा परिणाम शत-प्रतिशत रहा है। 'डिप्लोमा पाठ्यक्रम' में सात विद्यार्थी प्रथम श्रेणी में (जिनमें से चार ने 75% से अधिक अंक प्राप्त किये हैं) एवं एक द्वितीय श्रेणी में उत्तीर्ण हुआ है। जबकि 'प्रमाणपत्रीय पाठ्यक्रम' में बारह विद्यार्थी प्रथमश्रेणी में (जिनमें से नौ ने 75% से अधिक अंक प्राप्त किये हैं)। चार विद्यार्थी द्वितीय श्रेणी में एवं पाँच विद्यार्थी तृतीय श्रेणी में उत्तीर्ण हुये हैं।
-डॉ० सुदीप जैन, संयोजक ** डॉ० जयकुमार उपाध्ये को पी-एच.डी. उपाधि प्राप्त कुन्दकुन्द भारती में वास्तुविद्या एवं ज्योतिष के प्रभारी विद्वान् पं० जयकुमार एन० उपाध्ये को मोहनलाल सुखाड़िया विश्वविद्यालय, उदयपुर के जैनविद्या एवं प्राकृत विभाग' से वर्ष 1999 ई० में पी-एच.डी. की शोध-उपाधि प्राप्त हुई है। आपने प्रो० (डॉ०) प्रेमसुमन जी जैन के मार्ग-निर्देशन में अपना शोध-प्रबन्ध-निर्माण किया था। आपके शोध-प्रबन्ध का विषय 'प्राकृत साहित्य में वर्णित ज्योतिष का आलोचनात्मक परिशीलन' था। आपको इस उपलब्धि पर प्राकृतविद्या-परिवार की ओर से हार्दिक बधाई।
___-संपादक ** "विद्वान् ही विद्वान् के परिश्रम को समझ सकता है" संस्कृत विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति प्रोफेसर वी० वेंकटाचलम् ने कहा कि “एक विद्वान् ही दूसरे विद्वान् के परिश्रम को समझ सकता है। किसी विद्वान् के द्वारा अभिनन्दित होना बहुत बड़ा सम्मान है।"
उन्होंने ये उद्गार सोमवार को केन्द्रीय उच्च तिब्बती शिक्षा संस्थान, सारनाथ में गत दिनों दिल्ली में आचार्य उमास्वामी पुरस्कार से सम्मानित, कातन्त्रसिन्धु की उपाधि से विभूषित संस्थान के उपाचार्य (डॉ०) जानकी प्रसाद द्विवेदी के अभिनन्दन-समारोह में मुख्य अतिथि पद से व्यक्त किये। उन्होंने कहा कि "डॉक्टर द्विवेदी ने बड़े परिश्रम से ग्रंथों का प्रणयन किया, जिसका समुचित मूल्यांकन दिल्लीस्थ श्री कुन्दकुन्द भारती न्यास-संस्था ने किया। उन्होंने कहा डॉक्टर द्विवेदी का सम्मान शास्त्रसेवा का सम्मान है।"
समारोह की अध्यक्षता करते हुए संस्थान के निदेशक प्रो० रिनपोछे ने (डॉ०) द्विवेदी
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प्राकृतविद्या जुलाई-सितम्बर '99