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सव्यवस्थित ढंग से होता आ रहा है। इन दोनों पत्रिकाओं में जैन पुरात्तत्व, इतिहास, कला से संबंधित अनेकों महत्त्वपूर्ण लेख प्रकाशित होते चले आ रहे हैं।
श्री जैन सिद्धांत भवन के अन्तर्गत स्थापित श्री देव कुमार जैन प्राच्य शोध संस्थान, जिसे कि मगध विश्वविद्यालय द्वारा मान्यता प्राप्त है, शोधार्थियों को अपनी सेवा प्रदान कर रहा है। शोधकर्ता की सुविधाओं को ध्यान में रखते हुए बहुमूल्य प्राचीन ग्रंथों की जीरॉक्स कॉपी करवाकर देने की व्यवस्था भी भवन में है।
इस अवसर पर श्री जैन सिद्धांत के संरक्षक श्री सुबोध कुमार जी जैन ने भवन की विभिन्न सेवाओं तथा उपयोगिताओं पर प्रकाश डाला। मानद मंत्री श्री अजय कुमार जी जैन ने श्रुतपंचमी पर्व के इतिहास से लोगों को अवगत कराया।
-जिनेश कुमार जैन, आरा ** श्रावक शिरोमणि - श्री चक्रेश जैन 21 अप्रैल, 1999 को राष्ट्रसन्त आचार्यश्री विद्यानन्द जी मुनिराज के 'अमृत-महोत्सव' के प्रसंग से युवा, कर्मठ एवं जैनसमाज के अग्रणी नेता स्वनामधन्य श्री चक्रेश जैन को 'श्रावक शिरोमणि' की मानद उपाधि से अलंकृत किया गया। ___ जैन एवं जैनेतर समाज में लब्धप्रतिष्ठ कर्मठ, सामाजिक उदारचेता श्री चक्रेश जैन का जन्म 50 वर्ष पूर्व धर्मनिष्ठ संभ्रान्त परिवार में हुआ था। आपके पिता श्री लाला रतनलाल जी बिजलीवाले समाज के प्रतिष्ठित एवं उदात्त गुणों से सम्पन्न कर्मठ समाजसेवी के रूप में स्थापित थे। दिल्ली में 20वीं शताब्दी में सर्वप्रथम व्यक्तिगत स्तर पर बालाश्रम स्थित मुनिसुव्रतनाथ दिगम्बर जैन मंदिर दरियागंज की पंचकल्याणक प्रतिष्ठा सम्पन्न कराने का श्रेय उन्हीं को है। बाल्यावस्था से ही श्री जैन ने उच्चकुलीन परम्परागत गुणों को आत्मसात् करते हुए निर्भीक-ईमानदार, समर्पित एवं कर्मठ व्यक्तित्व का विकास किया है।
विलक्षण संगठन शक्ति एवं नेतृत्व क्षमता के कारण 20 वर्ष की अवस्था से ही अनेक महत्त्वपूर्ण धार्मिक एवं सामाजिक गतिविधियों को गतिशील बनाने का गुरुतर दायित्व का निर्वाह आज भी उसी समर्पणभाव से कर रहे हैं, जिस भाव से प्रसंग में सर्वप्रथम विश्व प्रसिद्ध पक्षी अस्पताल श्री दिगम्बर जैन लाल मंदिर, चांदनी चौक का दायित्व ग्रहण किया गया था। श्री जैन का सेवाव्रत का भाव आज भी जीवन्त है। ___आज सारा जैन जगत् कर्मठ समाजसेवी-धर्मनिष्ठ चक्रेश जैन को 'श्रावक शिरोमणि' की गौरवपूर्ण उपलब्धि पर हर्षित है। दिगम्बर जैन समाज एवं सोसायटी दरियागंज की ओर से हार्दिक अभिनन्दन। अपभ्रंश साहित्य अकादमी द्वारा पत्राचार अपभ्रंश सर्टिफिकेट पाठ्यक्रम
दिगम्बर जैन अतिशय क्षेत्र श्रीमहावीरजी द्वारा संचालित अपभ्रंश साहित्य अकादमी द्वारा पत्राचार अपभ्रंश सर्टिफिकेट पाठ्यक्रम' का आठवाँ सत्र 1 जनवरी, 2000 से आरम्भ किया जा रहा है।
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प्राकृतविद्या जुलाई-सितम्बर '99