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(डॉ०) वृषभप्रसाद जैन, लखनऊ।
निर्णायक-मण्डल की अनुशंसाओं के आधार पर राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री प्रदीप जैन कासलीवाल ने निम्नवत् पुरस्कारों की घोषणा की है। समस्त पुरस्कृत संपादकों को निकट भविष्य में इन्दौर में आयोजित होने वाले राष्ट्रीय दिगम्बर जैन सम्पादक/पत्रकार सम्मेलन' में रु० 5,000/- की नगद राशि तथा प्रशस्ति-पत्र से सम्मानित किया जायेगा। वर्ग-1 : हिन्दी साप्ताहिक, पाक्षिक समाचार पत्रों के सम्पादक।
श्री शैलेष कापड़िया, सम्पादक—जैनमित्र। वर्ग-2 : हिन्दी मासिक पत्र-पत्रिकाओं के सम्पादक।
डॉ० चिरंजीलाल बगड़ा, सम्पादक.-दिशाबोध । वर्ग-3 : उपाजातीय संगठनों की पत्रिकाओं के सम्पादक।
श्री जगदीश प्रसाद जैन, प्रधान सम्पादक-जैसवाल जैन दर्पण। वर्ग-4 : हिन्दी के अतिरिक्त अन्य भाषाओं के पत्र-पत्रिकाओं के सम्पादक।
ब्र० माणिकचन्द जयवंत सा भिसीकर, सम्पादक–सन्मति (मराठी)। वर्ग-5 : शोध-पत्रिकाओं के सम्पादक।
डॉ० सुदीप जैन, सम्पादक-प्राकृतविद्या। समस्त पुरस्कृत विद्वानों को महासमिति परिवार की ओर से हार्दिक बधाई।
–(डॉ०) अनुपम जैन, राष्ट्रीय प्रचार मंत्री ** श्रुतपंचमी पर्व तथा श्री जैन सिद्धांत भवन, आरा का 96वाँ वार्षिकोत्सव सम्पन्न
दिनांक 18 जून, 1999, श्रुतपंचमी पर्व तथा श्री जैन सिद्धांत भवन का 96वाँ वार्षिकोत्सव श्रुतस्कन्ध यंत्र, महान् ग्रंथ षट्खण्डागम्' की पूजा-अर्चना तथा भवन के वार्षिक प्रतिवेदन आदि के साथ सोल्लास सम्पन्न हुआ। इस शुभ अवसर पर प्रसिद्ध दानवीर बाबू हरप्रसाद दास जी जैन की पौत्री तथा श्रद्धेया तपस्विनी श्रीमती द्रौपदी देवी जी, भवन के संरक्षक श्रीमान् सुबोध कुमार जी जैन, डॉ० गोकुल चन्द जी जैन तथा समाज के अन्य गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे। __ज्ञातव्य है कि श्री जैन सिद्धांत भवन, आरा की स्थापना सन् 1903 ई० में आज ही यानि श्रुतपंचमी पर्व के दिन राजर्षि देवकुमार जी जैन ने भट्टारक श्री हर्षकीर्ति जी महाराज की प्रेरणा से की थी। इस ग्रंथागार में प्राकृत, संस्कृत, हिन्दी, अंग्रेजी, कन्नड़, बंगला तथा अन्य विभिन्न भाषाओं में जैनग्रंथ ही नहीं अपितु जैनेतर धर्मों को मिलाकर लगभग 5000 हस्तलिखित ग्रंथ, 1700 ताड़पत्रीय ग्रंथ, तथा 14000 छपे हुए ग्रंथ संग्रहित हैं। इसके अतिरिक्त लगभग 5000 अंग्रेजी में छपे हुए अतिदुर्लभ तथा बहुमूल्य ग्रंथों का भी संग्रह है। ऑडियो-विडियो कैसेट लाइब्रेरी के अन्तर्गत जैन तीर्थस्थलों, मुनि महाराज-संतों के प्रवचन, भजन आदि के कैसेट उपलब्ध है। 'श्री जैन सिद्धांत भास्कर' तथा अंग्रेजी में 'जैन एन्टीक्वेरी' नामक वार्षिक शोध-पत्रिकाओं का प्रकाशन सन् 1912 से निरंतर
प्राकृतविद्या जुलाई-सितम्बर '99
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