Book Title: Prakrit Vidya 1999 07
Author(s): Rajaram Jain, Sudip Jain
Publisher: Kundkund Bharti Trust

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Page 82
________________ रूप में भव्य दिव्यदर्शन हुये। उच्च स्वरों में जयनिनाद हुआ। समशीतोष्ण जल से अभिषेक के साथ वेद मंत्रोच्चार व घण्टे घड़याल गूंज उठे। आधा घण्टे तक अभिषेक होता रहा। पौने छ: बजे तुलसी की माला पहनायी गयी। उसे उतारकर ठीक छ: बजे प्रतिमा जी को वस्त्र-शृंगार से अलंकृत किया। हमने पुन: जयघोष किया। अभिषेक दर्शन कर भ० आदिनाथ की जय बोल कृतकृत्य हुये। ____ "दर्शनं देवदेवस्य, दर्शनं पापनाशनम् । दर्शनं स्वर्गसोपानं दर्शनं मोक्षसाधनम् ।।" वेद-मंत्रोच्चार होता रहा। पण्डितगण हमारे आदिनाथ के जयघोष से प्रफुल्लित हो रहे थे। धार्मिक सहिष्णुता का यह जीवन्तस्वरूप आनन्ददायी रहा। ___ कहा जाता है कि भ० बद्रीनाथ के रूप में यह आदिनाथ भगवान् की 19 फुट नीलवर्णी प्रतिमा सैकड़ों वर्ष पूर्व अलकनन्दा नदी के प्रवाह में थी। इसने मन्दिर के अधिष्ठाता को स्वप्न में दर्शन दिये। तदनुसार उसने मूर्ति को मन्दिर में विराजमान किया। आचार्यश्री विद्यानन्द जी मुनिराज ने इस मूर्ति को चतुर्थकालीन बताया है। आचार्यश्री के के अनुसार हिमालय को गौरीशंकर, कैलाश, बद्री-विशाल, नंदा, द्रोणगिरि, नारायण, नर और त्रिशूली इन आठ पर्वतश्रेणियों के कारण 'अष्टापद' भी कहते हैं। इसे ही निर्वाण काण्ड में “अष्टापद आदीश्वर स्वामी" कहा गया है। इसी हिमालय की पर्वत-शृंखलाओं में स्थित कैलाशपर्वत से ऋषभदेव व असंख्यात मुनि मोक्ष गये हैं। 'प्रभास पुराण' में उल्लेख मिलता है ___"कैलासे विपुले रम्ये वृषभोऽयं जिनेश्वरः। चकार स्वावतारं च सर्वज्ञ: सर्वग: शिव: ।।" अर्थ:-विशाल रमणीय कैलाशपर्वत पर सर्वज्ञ, सर्वव्यापी, शिवरूप भगवान् ऋषभ जिनेश्वर ने अवतार लिया। इसी अष्टापद कैलाशपर्वत पर भरत चक्रवर्ती, जिनके नाम से इस देश का नाम भारत पड़ा है, ने 24 तीर्थंकरों के मन्दिरों का निर्माण कराया था। यही भूमि भरत-बाहुबली की साधना-स्थली रही। इसी भूमि पर भ० पार्श्वनाथ का समवशरण आया था। 'श्रीमद्भागवत' के अनुसार पिता नाभिराय और माता मरुदेवी ने यहीं ऋषभदेव का राज्याभिषेक कर बद्रिकाश्रम में घोर तप किया था ओर यहीं उनकी समाधि भी हुई। यहाँ से 4 कि०मी० दूरी पर मानसरोवर-कैलाश के मार्ग में भारतीय सीमा का अन्तिम गाँव 'माणा' है। यहाँ मरु माता का मन्दिर है और एक साधना-स्थल के रूप में नीलकण्ठ पर्वत पर नाभिराय के चरण-चिह्न अंकित हैं। सरस्वती नदी का उद्गम उक्त माना ग्राम' से ही है, जो आगे अलकनन्दा से मिलती है। यात्रा का समापन माता मन्दिर के दर्शन से होता है। __बद्रीनाथ समुद्र तल से 3100 मीटर की ऊँचाई पर स्थित है। भारत की राजधानी 00 80 प्राकृतविद्या जुलाई-सितम्बर '99

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