Book Title: Prakrit Vidya 1999 07
Author(s): Rajaram Jain, Sudip Jain
Publisher: Kundkund Bharti Trust

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Page 96
________________ 888888888888 8888888888 समाचार दर्शन आचार्यश्री विद्यानंदजीद्वारा नियम सल्लेखना' व्रत ग्रहण धर्मनगरी बड़ौत के श्रीचंद्रप्रभु दिगंबर जैन बड़ा मंदिर के विशाल हाल में हजारों श्रावक-श्राविकाओं की उपस्थिति में बुधवार को ठीक 11 बजकर 22 मिनट पर सिद्धांतचक्रवर्ती आचार्यश्री विद्यानंद जी मुनिराज ने मंत्रोच्चारण-सहित नियम सल्लेखना व्रत' का संकल्प लिया। ___ आचार्यश्री विद्यानंद जी मुनिराज ने इस अवसर पर कहा कि समय-समय पर विदेशियों ने भारत भूमि पर आधिपत्य कर अपनी संस्कृति' थोपी, लेकिन श्रमण (जैन) संस्कृति उससे विशेष प्रभावित नहीं हुई। जैन मुनियों, आचार्य शांतिसागर, पायसागर, वीरसागर आदि ने 'सल्लेखना व्रत' धारण किया। अन्य संस्कृतियों में इसे आत्महत्या बताया, किंतु जैन धर्मानुयायी इससे विचलित नहीं हुए। क्योंकि जैन साधुचर्या की साधना का यह अंतिम लक्ष्य है।" इस अवसर पर दिगंबर जैन महाविद्यालय की हीरक जयंती' एवं मानस्तंभ कलशारोहण महोत्सव' के विधानाचार्य पं० गुलाबचंद जी पुष्प, डॉ० सुदीप जैन, डॉ० जयकुमार उपाध्ये, डॉ० श्रेयांस जैन आदि उपस्थित थे। ___ यह सुसंयोग है कि मुनि-दीक्षा के बारह वर्ष बाद वर्ष 1975 में मुनिश्री विद्यानंद जी प्रथम उपाध्याय पद से विभूषित हुये थे। उसके बारह वर्ष बाद 1987 में आपको आचार्य पद. प्रदान किया गया था, तथा अब 12 वर्ष बाद आपने नियम सल्लेखना' व्रत धारण किया है। यह भी शुभ संयोग रहा कि बड़े जैन मंदिर के जीर्णोद्धार के उपरांत इसकी पंच कल्याणक प्रतिष्ठा विद्यानंद जी के सान्निध्य में संपन्न हुई थी। उन्होंने स्थापित की गई मूर्तियों को सूर्य मंत्र' दिया था। अध्यात्म के आधार पर ही देश का उत्थान संभव : डॉ० जोशी "भारत एक आध्यात्मिक देश है और उसका उत्कर्ष अध्यात्म के आधार पर ही हो सकता है। ऋषि-मुनियों ने इसे सदा अनुप्राणित किया है। 1857 के स्वतंत्रता-संग्राम का संदेश भी साधुओं ने ही दिया था। अंग्रेजों ने इन सन्यासियों को खत्म करने की चेष्टा की थी, किंतु वे सफल नहीं हुए। आज देश आंतरिक और सीमा पर संकट से घिरा है। ऐसे में हमारी आध्यात्मिक विभूतियों से हमें राष्ट्रप्रेम की प्रेरणा मिलती है।" ___ धर्मनगरी बड़ौत (उ०प्र०) में ये शब्द केंद्रीय मानव संसाधन मंत्री डॉ. मुरली मनोहर जोशी ने आचार्यश्री विद्यानंद जी महाराज को विनयांजलि अर्पित करते हुए श्री दिगंबर जैन महाविद्यालय के हीरक जयंती एवं मानस्तंभ कलशारोहण समारोह के अवसर पर विशाल जनसभा को संबोधित करते हुए कहे। डॉ० जोशी ने इस बात पर खेद व्यक्त किया कि “धर्मनिरपेक्षता का गलत अर्थ लगाकर कुछ राजनीतिक तत्त्व देश को हानि पहुँचा रहे हैं। यह कैसी विडम्बना है कि हम अपने ही देश में जिसकी संसकृति का मूलाधार 'अहिंसा परमो 0094 प्राकृतविद्या जुलाई-सितम्बर '99

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