Book Title: Prakrit Vidya 1999 07
Author(s): Rajaram Jain, Sudip Jain
Publisher: Kundkund Bharti Trust

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Page 88
________________ बिहार के कुछ पवित्र जैन तीर्थ - रूपकमल चौधरी जैनधर्म के प्रथम तीर्थंकर भगवान् ऋषभदेव के द्वारा प्रवर्तित परम्परा में आज से लगभग 2600 वर्ष पूर्व चौबीसवें तीर्थंकर भगवान् महावीर का आविर्भाव स्व-पर के कल्याण के लिए हुआ था, जिन्होंने संसार के समस्त भोग-विलास का परित्याग कर मनुष्य को सत्य और ज्ञान के पथ पर प्रेरित किया था । वर्तमान समय में मनुष्य भौतिकता की चकाचौंध से भ्रमित धर्म-अधर्म का भेद भूल गया है। ऐसी परिस्थितियों में जैनधर्म आज भी अप्रासंगिक नहीं हुआ है, वह समाज के लिए आज भी अमृतस्वरूप है। यह वाणी शाश्वत है, जिसे काल का प्रवाह कभी धूमिल नहीं कर सकता। भगवान् महावीर का आविर्भाव बिहार में हुआ था, अतः यहाँ कई पवित्र जैन तीर्थ हैं; उनमें से कुछ स्थानों का विवरण इसप्रकार है कुण्डग्राम (वैशाली): - भगवान् महावीर का आविर्भाव वैशाली (बसाढ़) स्थित कुण्डग्राम में हुआ था । 'आधुनिक बसाढ़ ही बैशाली थी' – कनिंघम द्वारा प्रस्तावित यह तथ्य असंदिग्ध है। डॉ० टी० ब्लाख द्वारा 1903-04 में इस स्थान पर पुरातत्त्वीय उत्खनन किया गया था। ब्लाख ने ‘राजा बिशाल का गढ़' नामक एक टीले पर खुदाई करवायी थी ।' यहाँ एक छोटे कक्ष से उपलब्ध मिट्टी की सात सौ मुहरें मिली थीं। ये ऐतिहासिक दृष्टि से अत्यन्त मूल्यवान हैं। ये मुहरें पत्रों या अन्य साहित्यिक आलेखों के ऊपर लगायी जाती थीं। ये अंशत: अधिकारियों और अंशत: अशासकीय व्यक्तियों साधारणतः व्यापारियों या श्रेष्ठियों से संबंधित थीं । यह नगर जैन एवं बौद्ध दोनों धर्मों के प्रारंभिक इतिहास से घनिष्ठरूप से संबंधित थी। 500 ई०पू० यहीं से विकसित होने वाले दोनों धर्मों ने सम्पूर्ण पूर्वोत्तर भारत पर प्रभाव डाला था। अत: यह स्थान दो महान् धर्मों के प्रवर्त्तकों की पुण्य स्मृतियों से जुड़ा है। जैनधर्म के प्रवर्तक महावीर को वैशाली अपना ही नागरिक मानती है। इसीलिए उन्हें 'बिसालिए' या 'वैशालिक' या 'वैशाली नगर का निवासी' कहा जाता था । वैशाली एक वैभवपूर्ण, समृद्धिशाली, जनसंकल्प और प्रचुर खाद्य सामग्री वाला नगर था। यहाँ अनेक ऊँचे भवन, कंगूरेदार इमारतें, प्रमद- वन एवं पुष्कर थे । विशाल क्षेत्र अर्थात् लंबाई और चौड़ाई में विशाल होने के कारणस इसका नाम 'वैशाली' था। कुण्डग्राम ही महावीर (जैन-तीर्थंकर) का जन्म स्थान है । वे बुद्ध के प्रायः समकालीन थे। कुण्डग्राम वैशाली या बसाढ़ का एक उपनगर था। भगवान् महावीर ज्ञातृक गोत्र में उत्पन्न हुए थे । इनकी माता का नाम त्रिशला और पिता का नाम सिद्धार्थ था। इनका जन्म 599 ई०पू० में हुआ था । वैशाली के कई उपनगरों का नाम पालि- साहित्य में मिलता है, यथा— 1 — कोल्लाग, नादिक, वणियग्राम, हत्थीग्राम इत्यादि । वणियग्राम ही आधुनिक वाणिज्यग्राम है, जहाँ पुरातत्त्व की अनेक सामग्री मिली हैं । यहीं वैशाली - संघ का एक अरक्षित अव्यवस्थित एक छोटा-सा संग्रहालय है। 86 प्राकृतविद्या← जुलाई-सितम्बर 199

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