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मिलाकर एक 'बिहार' नामक राज्य बना दिया गया है। अत: सामान्य लोगों को महावीर की जन्मभूमि बिहार में थी —ऐसा कहकर दिग्भ्रमित किया जा रहा है। जबकि वस्तुस्थिति यह है कि महावीर के समय में बिहार नामक किसी प्रान्त की सत्ता ही नहीं थी।
'तीर्थवन्दनसंग्रह' नामक उपर्युक्त पुस्तक में ही पृष्ठ 129 पर महावीर की जन्मभूमि 'कुण्डपुर' का परिचय निम्नानुसार दिया गया है...
कुण्डपुर-रूपान्तर कुण्डग्राम, क्षत्रियकुण्डग्राम, कुण्डलपुर। यह विदेह (उत्तर बिहार) प्रदेश की राजधानी वैशाली का एक उपनगर था। यहाँ अन्तिम तीर्थंकर भगवान् महावीर का जन्म हुआ था (यतिवृषभ, पूज्यपाद, रविषेण, जटासिंहनंदि, जिनसेन, गुणभद्र)। इस समय वैशाली नगर के स्थान पर बसाढ नामक छोटा गाँव है, यह उत्तर बिहार में मुजफ्फरपुर शहर से 22 मील दूर है। कुण्डग्राम के स्थान को वहाँ बसुकुण्ड कहते हैं। यह बहुत वर्षों से उद्ध्वस्त पड़ा हुआ था। गत कुछ वर्षों में वहाँ भगवान् महावीर का स्मारक स्थापित किया गया है तथा वैशाली प्राकृत जैन विद्यापीठ का निर्माण चल रहा है (फिलहाल यह संस्था मुजफ्फरपुर में ही कार्य कर रही है)। ___इस स्थान के विस्मृत हो जाने से आधुनिक समय में कुछ लोगों ने दक्षिण बिहार के नालन्दा के समीप के वडगांव को कुण्डलपुर मान लिया था। मध्यप्रदेश के दमोह जिले के कुण्डलपुर का भी इस स्थान से कोई संबंध नहीं है। इस क्षेत्र के संबंध में विजयेन्द्रसूरिकृत वैशाली' तथा दर्शनविजयकृत 'क्षत्रियकुण्ड' ये स्वतन्त्र पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी हैं। इस दूसरे पुस्तक में श्वेताम्बर मध्ययुगीन परम्परा के अनुसार दक्षिण बिहार में लछवाड ग्राम के निकट क्षत्रियकुण्ड होने का समर्थन किया है जो विशेष युक्तिसंगत नहीं है। अधिक विवरण के लिए द्रष्टव्य - प्राचीन तीर्थमाला संग्रह प्र. 22, जैन तीर्थोंनो इतिहास (न्या.) प्र. 485।-(तीर्थवन्दनसंग्रह', प्रकाशक—गुलाबचन्द हिराचन्द दोशी, जैन संस्कृति संघ, सोलापुर, पृ. 129-130)
विशेषज्ञ विद्वानों ने और भी अनेक प्रकारों से भगवान् महावीर की जन्मभूमि 'विदेह-कुण्डपुर' होने के व्यापक प्रमाणों के साथ लेख लिखे हैं, मुझे उक्त तीर्थवन्दनसंग्रह' नामक पुस्तक में जो सामग्री मिली, उसके आधार पर अपना अभिप्राय यहाँ व्यक्त किया है। यह बात विशेष उल्लेखनीय है कि यह ग्रन्थ दिगम्बर जैनतीर्थों के बारे में ही प्रामाणिक रूप से परिचय दिया गया है, तथा इसके सम्पादक सुविख्यात इतिहासज्ञ प्रो. विद्याधर जोहरापुरकर हैं। सन् 1965 से यह पुस्तक प्रकाशित है, और इसमें भगवान् महावीर की जन्मभूमि के बारे में दो टूक उल्लेख विदेहकुण्डपुर का ही किया गया है। तब से आज तक किसी ने कोई विवाद खड़ा नहीं किया, और अब एक नया विवाद किस उद्देश्य से खड़ा किया गया है? -- यह समाज के प्रमुख लोग स्वयं विचार कर सकते हैं। ___ अंतत: मैं उपर्युक्त विवरण के आधार पर स्पष्ट रूप से कहना चाहता हूँ कि भगवान् महावीर की जन्मभूमि विदेहकुण्डपुर' ही है। नालन्दा के पास का कोई गाँव महावीर की जन्मभूमि नहीं है, क्योंकि यह क्षेत्र ‘मगधप्रान्त' में था, न कि विदेहप्रान्त' में।
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___प्राकृतविद्या-जनवरी-जून '2002 वैशालिक-महावीर-विशेषांक For Private & Personal Use Only
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