Book Title: Prakrit Vidya 02
Author(s): Rajaram Jain, Sudip Jain
Publisher: Kundkund Bharti Trust

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Page 196
________________ उक्त समिति की कार्यकारिणी 5 सदस्यों की रहेगी, जिनमें अभी डॉ. हुकमचन्द भारिल्ल, श्री वसंतभाई दोशी और हरखचन्द बिलाला का चयन हुआ है। शेष दो सदस्यों का चयन उक्त तीन व्यक्ति करेंगे। पत्र व्यवहार का पता- श्री दिगम्बर जैन मुमुक्षु समन्वय समिति 173/175, मुम्बादेवी रोड, मुंबई-400002 -भरत शाह, मुम्बई ** डॉक्टरेट की शोध-उपाधि प्राप्त . (1) श्री लालबहादुर शास्त्री राष्ट्रिय संस्कृत विद्यापीठ (मानित विश्वविद्यालय), नई दिल्ली110016 के 'जैनदर्शन विभाग' की छात्रा श्रीमती आभा रानी जैन ने 'मुनि रामसिंह विरचित दोहापाहुड ग्रन्थ का अनुशीलन' विषय पर विद्यावारिधि (पी-एच.डी.) की शोधउपाधि प्राप्त की है। उन्होंने अपना शोधकार्य डॉ. सुदीप जैन के मागदर्शन में भरपूर श्रम एवं निष्ठा के साथ गरिमापूर्वक सम्पन्न किया, तथा उन्हें दिनांक 17 फरवरी, 2002 को सम्पन्न दीक्षांत समारोह में विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के अध्यक्ष डॉ. हरि गौतम जी के करकमलों से उपाधि प्राप्त हुई। श्रीमती आभा रानी जैन दिल्ली के सुप्रसिद्ध समाजसेवी श्री सुभाष चन्द जैन (महावीर इन्टरनेशनल) की पुत्रवधू हैं। आपने इसके पहले जैनदर्शन-आचार्य' एवं शिक्षाशास्त्री' की परीक्षाओं में भी इसी विद्यापीठ से स्वर्ण पदक प्राप्त किया था। ऐसी यशस्विनी महिला के लिये डॉक्टरेट की इस उपाधि की प्राप्ति के उपलक्ष्य में अनेकों मित्रों, समाजसेवियों एवं विद्वानों ने हार्दिक बधाई दी है। तथा उनके उज्ज्वल-भविष्य की मंगल-कामना की है। (2) श्री लालबहादुर शास्त्री राष्ट्रिय संस्कृत विद्यापीठ (मानित विश्वविद्यालय), नई दिल्ली110016 के जैनदर्शन विभाग के छात्र श्री अशोक कुमार जैन ने 'आचार्य कुन्दकुन्द के साहित्य का सांस्कृतिक अध्ययन' विषय पर विद्यावारिधि (पी-एच.डी.) की शोध-उपाधि प्राप्त की है। उन्होंने अपना शोधकार्य डॉ. सुदीप जैन के मागदर्शन में निष्ठा के साथ गरिमापूर्वक सम्पन्न किया, तथा उन्हें दिनांक 17 फरवरी, 2002 को सम्पन्न दीक्षांत समारोह में विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के अध्यक्ष डॉ. हरि गौतम जी के करकमलों से उपाधि प्राप्त हुई। ___ श्री अशोक कुमार जैन दिल्ली जैनसमाज के जाने-माने विद्वान् एवं समाजसेवी हैं। आप अखिल भारतीय दिगम्बर जैन विद्वपरिषद के राष्ट्रीय कोषाध्यक्ष' भी हैं। आपने इसके पहले जैनदर्शन-आचार्य परीक्षा में भी स्वर्ण-पदक प्राप्त किया था। ऐसे यशस्वी विद्वान् के लिये डॉक्टरेट की इस उपाधि की प्राप्ति के उपलक्ष्य में अनेकों मित्रों, समाजसेवियों एवं विद्वानों ने हार्दिक बधाई दी है। तथा उनके उज्ज्वल भविष्य की मंगल-कामना की है। 40 194 प्राकृतविद्या जनवरी-जून '2002 वैशालिक-महावीर-विशेषांक For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org Jain Education International

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