Book Title: Prakrit Vidya 02
Author(s): Rajaram Jain, Sudip Jain
Publisher: Kundkund Bharti Trust

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Page 194
________________ मूडबिद्री के भट्टारक जी 'भारतभूषण' गौरव से सम्मानित 'विश्व ज्योतिष विद्यापीठ' कोलकाता की ओर से जैनकाशी मूडबिद्री के भट्टारक स्वस्तिश्री चारुकीर्ति स्वामी जी को 'भारतभूषण' की प्रशस्ति से विभूषित किया गया है। भट्टारक जी के ज्योतिष-ज्ञान, नाड़ी-संहिता एवं सिद्धान्त-वास्तु आदि विषयों पर महत्त्वपूर्णविचारों को दृष्टिगत रखते हुये कोलकाता के इस संस्थान ने अपने रजत-जयन्ती वर्ष के सुअवसर पर उन्हें सम्मानित किया है। सम्मान-समारोह में देश-विदेश से पधारे अनेकों विद्वान् तथा केन्द्र एवं राज्य-स्तर के कई मन्त्रीगण भी उपस्थित थे। -डॉ. एस.पी. विद्याकुमार, मूडबिद्री ** महाराष्ट्र में 'जैन इतिहास परिषद् का द्वितीय अधिवेशन सम्पन्न । _ 'महाराष्ट्र जैन इतिहास परिषद्' का द्वितीय अधिवेशन प्रो. (डॉ.) राजाराम जैन, आरा (बिहार) तथा मानद निदेशक कुन्दकुन्द भारती, नई दिल्ली की अध्यक्षता में 'भातकुली अतिशयक्षेत्र (अमरावती, महाराष्ट्र) में दिनांक 12-13 जनवरी को सम्पन्न हो गया। इसमें on इतिहास परिषद दुसरे दिनांक १२ व १३ जाने.२ नेल्हा अमर जी अपना वक्तव्य प्रस्तुत करते हुये प्रो. (डॉ.) राजाराम जैन जैन-इतिहास-सम्बन्धी शोधपत्र-वाचन, विशिष्ट-भाषण तथा सांस्कृतिक-कार्यक्रमों के आयोजन किये गये। अपने विशिष्ट अध्यक्षीय-भाषण में प्रो. राजाराम जैन ने खारवेल-शिलालेख के सन्दर्भ में महाराष्ट्र की प्राचीनता-सम्बन्धी अनेक ऐतिहासिक-सूत्रों का विश्लेषण करते हुए बतलाया कि महावीर-युग में सारा दक्षिणापथ जैन-संस्कृति का गढ़ था। इसीलिये मगध के द्वादशवर्षीय भीषण-दुष्काल के समय आचार्य भद्रबाहु अपने नवदीक्षित-शिष्य मगध-सम्राट चन्द्रगुप्त को लेकर अपने 12000 साधु-संघ के साथ दक्षिणापथ के 'कटवप्र' (वर्तमान श्रमणबेलगोल) पधारे थे तथा वहीं से अपने पट्टशिष्य आचार्य विशाख के नेतृत्व में समस्त 00 192 प्राकृतविद्या-जनवरी-जून '2002 वैशालिक-महावीर-विशेषांक Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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