Book Title: Prakrit Vidya 02
Author(s): Rajaram Jain, Sudip Jain
Publisher: Kundkund Bharti Trust

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Page 206
________________ योगदान रहा है। आपने विविध विषयों पर अनेकों प्रामाणिक महत्त्वपूर्ण पुस्तकें भी लिखीं हैं। इस अंक में प्रकाशित 'भगवान् महावीर की जन्मभूमि कुण्डलपुर' या 'कुण्डपुर'' शीर्षक आलेख आपके द्वारा विरचित है। स्थायी पता—42, शीश महल, सर हुकुमचंद मार्ग, इंदौर-452002 (म.प्र.) 9. डॉ. योगेन्द्र मिश्र—आप भारतीय इतिहास, संस्कृति और पुरातत्त्व के सुप्रतिष्ठित विद्वान् हैं। 'वैशाली अभिनन्दन-ग्रन्थ' के आप यशस्वी सम्पादक हैं। इस अंक में प्रकाशित 'महावीर की जन्मभूमि जैनसाहित्य के संदर्भ में' शीर्षक-आलेख आपकी लेखनी से प्रसूत है। 10. पं. बलभद्र जैन—आप जैनदर्शन एवं संस्कृति के जाने-माने विद्वान् लेखक रहे हैं। 'प्राकृतविद्या' नामक इस पत्रिका के सम्पादक भी आप रहे। इस अंक में प्रकाशित 'वैशाली कुण्डग्राम' शीर्षक-आलेख आपकी लेखनी से प्रसूत है। ___11. डॉ. राजाराम जैन—आप मगध विश्वविद्यालय में प्राकृत, अपभ्रंश के प्रोफेसर' पद से सेवानिवृत्त होकर श्री कुन्दकुन्द भारती जैन शोध संस्थान के निदेशक' हैं। अनेकों महत्त्वपूर्ण ग्रन्थों, पाठ्यपुस्तकों एवं शोध-आलेखों के यशस्वी लेखक भी हैं। आपको इस वर्ष राष्ट्रपति सम्मान से भी सम्मानित किया गया है। इस अंक के अन्तर्गत प्रकाशित 'भगवान् महावीर के उपदेशों की वर्तमान सन्दर्भ में प्रासंगिकता' एवं 'सहस्राब्दी राष्ट्रपति पुरस्कार मेरा सम्मान नहीं बल्कि प्राकृत, जैनविद्या तथा जैन-पाण्डुलिपियों का सम्मान है' शीर्षक आलेखों के लेखक आप हैं। पत्राचार-पता-महाजन टोली नं0 2, आरा-802301 (बिहार) 12. डॉ. विद्यावती जैन आप मगध विश्वविद्यालय में वरिष्ठ रीडर थी, तथा जैन-साहित्य एवं प्राकृतभाषा की अच्छी विदुषी हैं। इस अंक में प्रकाशित 'नारी जागरण के क्षेत्र में भगवान् महावीर का योगदान' शीर्षक आलेख आपका है। आप प्रो. (डॉ.) राजाराम जैन की सहधर्मिणी हैं। स्थायी पता—महाजन टोली नं0 2, आरा-802301 (बिहार) 13. डॉ. देवेन्द्र कुमार शास्त्री— आप जैनदर्शन के साथ-साथ प्राकृत-अपभ्रंश एवं हिंदी भाषाओं के विश्वविख्यात विद्वान् एवं सिद्धहस्त लेखक हैं। पचासों पुस्तकें एवं दो सौ से अधिक शोध-निबंध प्रकाशित हो चुके हैं। इस अंक में प्रकाशित 'वैशाली के राजकुमार' नामक लेख आपकी लेखनी से प्रसूत है। स्थायी पता-243, शिक्षक कालोनी, नीमच-458441 (म०प्र०) 14. डॉ. राजमल जैन—जैन संस्कृति, इतिहास एवं पुरातत्त्व के क्षेत्र में आप एक जाने माने हस्ताक्षर हैं। आपके द्वारा लिखे गये अनेकों पुस्तकें एवं लेख प्रकाशित हैं। सेवानिवृत्ति के बाद भी आप निरन्तर अध्ययन एवं लेखन के साथ-साथ शोधपूर्ण कार्यों में निरत रहते हैं। इस अंक में प्रकाशित वैशाली-गणतन्त्र' शीर्षक का आलेख आपकी लेखनी से प्रसूत है। स्थायी पता—बी-1/324, जनकपुरी, नई दिल्ली-110058 15. सतीश चन्द्र जैन—आप जैनसमाज के सुप्रतिष्ठित कार्यकर्ता एवं समर्पित समाजसेवी हैं। आचार्यश्री विद्यानन्द जी के सान्निध्य में आप वर्षों से निस्पृहरूप से सेवारत हैं। इस अंक में प्रकाशित 'भगवान् महावीर की जन्मभूमि कुण्डपुर 'विदेह' में या 'मगध' में' शीर्षक लेख आपके 00 204 प्राकृतविद्या-जनवरी-जून '2002 वैशालिक-महावीर-विशेषांक For Private & Personal Use Only Jain Education International www.jainelibrary.org

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